रायपुर : दिवंगत शिक्षक की देय राशि के भुगतान के लिए रिश्वत मांगने और भुगतान लंबित रखने के मामले में छत्तीसगढ़ प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर कोटा के विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) विजय टांडेय को पद से हटा दिया गया, जबकि बाबू एकादशी पोर्ते को निलंबित कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
शासकीय प्राथमिक शाला औछिनापारा, विकासखंड कोटा में पदस्थ शिक्षिका नीलम भारद्वाज ने 10 मार्च को कलेक्टर को शिकायत दी थी कि उनके दिवंगत शिक्षक पति पुष्कर भारद्वाज की सरकारी देय राशि अब तक उन्हें नहीं मिली है। जब वह बीईओ कार्यालय कोटा पहुंचीं, तो बाबू एकादशी पोर्ते ने भुगतान के लिए 1.24 लाख रुपये की रिश्वत मांगी। पैसे न देने पर उनका भुगतान रोक दिया गया।
कलेक्टर ने गठित की जांच टीम
शिक्षिका की शिकायत पर कलेक्टर अवनीश शरण ने तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई। 21 मार्च को जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें BEO विजय टांडेय और बाबू एकादशी पोर्ते की मिलीभगत उजागर हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि राशि के भुगतान में देरी का कारण रिश्वतखोरी थी।
तत्काल कार्रवाई
जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए:
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बाबू एकादशी पोर्ते को तत्काल निलंबित कर दिया।
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BEO विजय टांडेय को उनके पद से हटाकर शासकीय हाईस्कूल खुरदूर में प्राचार्य पद पर भेज दिया।
प्रशासन का सख्त संदेश
इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत दिया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ा रुख अपनाएगी। दिवंगत शिक्षक के परिवार को राहत देने के लिए देय राशि का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन आगे और क्या कदम उठाता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
