नई दिल्ली – एक साधारण ब्लड टेस्ट से नींद विकार से पीड़ित लोगों में डिमेंशिया (Dementia) विकसित होने की संभावना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, वह भी लक्षण प्रकट होने से कई साल पहले। मैकगिल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, इडियोपैथिक आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर (iRBD) नामक नींद विकार वाले मरीजों में यह जोखिम अधिक होता है।
शोध के अनुसार, iRBD से पीड़ित लोगों में नींद के दौरान अपने सपनों को शारीरिक रूप से निभाने की प्रवृत्ति होती है। यह विकार पार्किंसंस रोग और लेवी बॉडीज डिमेंशिया जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जुड़ा हुआ है।
मैकगिल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो iRBD वाले मरीजों में डिमेंशिया विकसित होने की संभावना को पहले से पहचान सकता है। यह टेस्ट खून में मौजूद दो विशेष प्रोटीन का विश्लेषण करता है, जो आमतौर पर अल्जाइमर रोग के बायोमार्कर के रूप में जाने जाते हैं।
मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट-हॉस्पिटल के प्रोफेसर और क्लिनिकल रिसर्चर डॉ. रोनाल्ड पोस्टुमा के मुताबिक, “डिमेंशिया के जोखिम का जल्द पता चलने से डॉक्टरों को मरीजों को बेहतर मार्गदर्शन देने, उनके लिए अधिक प्रभावी उपचार खोजने और भविष्य की योजना बनाने में मदद मिलेगी।”
शोधकर्ताओं ने 150 iRBD रोगियों पर अध्ययन किया, जिसमें उनके ब्लड बायोमार्कर की जांच की गई और उनके स्वास्थ्य पर सालाना नजर रखी गई। परिणाम चौंकाने वाले थे – चार साल पहले किए गए ब्लड टेस्ट ने 90% मरीजों में डिमेंशिया विकसित होने की सटीक भविष्यवाणी की।
इस अध्ययन से डिमेंशिया और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों के शीघ्र निदान की उम्मीद जगी है, जिससे मरीजों को समय पर सही उपचार मिल सकता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
