रायपुर – इंद्रावती नदी के जल संकट को दूर करने की दिशा में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल रंग लाई है। जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर में जल प्रवाह को नियंत्रित कर इंद्रावती नदी की मुख्य धारा में पानी छोड़ा गया है, जिससे नदी के जल स्तर में वृद्धि हुई है। इस कार्य को ओडिशा सरकार की सहमति के बाद संभव किया गया, जिसमें स्ट्रक्चर में रेत की बोरियां डालकर जल प्रवाह को सुनिश्चित किया गया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने इस मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से चर्चा की। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने ओडिशा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को आवश्यक निर्देश जारी किए। परिणामस्वरूप, ओडिशा सरकार की सहमति से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थायी रूप से एक फीट ऊंचा किया गया, जिससे इंद्रावती नदी में जल प्रवाह में सुधार हुआ।
इसके अलावा, इंद्रावती नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस संबंध में कलेक्टर हरिस एस के मार्गदर्शन में अपर कलेक्टर सी.पी. बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और जल संसाधन विभाग के ईई वेद पांडेय ने स्थानीय किसानों को पूरी जानकारी दी।
इंद्रावती नदी का उद्गम ओडिशा राज्य के कालाहांडी जिले के रामपुर धुमाल गांव से हुआ है। यह नदी 534 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद गोदावरी नदी में मिलती है। नदी का कैचमेंट एरिया 41,665 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें ओडिशा में 7,435 वर्ग किमी, छत्तीसगढ़ में 33,735 वर्ग किमी और महाराष्ट्र में 495 वर्ग किमी शामिल हैं।
ओडिशा राज्य की सीमा पर ग्राम सूतपदर में इंद्रावती नदी दो भागों में बंट जाती है। एक भाग इंद्रावती नदी के रूप में छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, जबकि दूसरा भाग जोरा नाला के रूप में शबरी (कोलाब) नदी में मिल जाता है। पहले जोरा नाला का पानी इंद्रावती में आता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका बहाव बढ़ने से इंद्रावती का जल प्रवाह कम हो गया।
समस्या गंभीर होने पर दिसंबर 2003 में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभियंताओं की बैठक हुई, जिसमें जोरा नाला के मुहाने पर जल विभाजन के लिए कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाने का निर्णय लिया गया। यह संरचना ओडिशा सरकार द्वारा बनाई गई, जिसकी डिज़ाइन केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने तैयार की। हालांकि, निर्माण के बावजूद जोरा नाला में अधिक पानी जाने से छत्तीसगढ़ को ग्रीष्म ऋतु में औसतन 40.71% और ओडिशा को 59.29% जल प्रवाह मिलता रहा।
इंद्रावती नदी में न्यूनतम जल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई प्रयास किए। 6 जनवरी 2021 को ओडिशा और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण किया। इस दौरान कंट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम में जलभराव रोकने के लिए रेत और बोल्डर हटाने तथा जोरा नाला के घुमाव को सीधा करने की जरूरत बताई गई।
वर्ष 2018 के बाद इंद्रावती नदी में जल प्रवाह कम होने की समस्या बनी हुई थी। अब राज्य सरकार के प्रयासों से ओडिशा सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ है, जिससे नदी के जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
इससे इंद्रावती नदी में जल प्रवाह बढ़ेगा और किसानों को सिंचाई के लिए पानी की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी। किसानों और स्थानीय निवासियों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि यह प्रयास लंबे समय तक जल संकट के समाधान में मददगार साबित होगा।
