वेदांता ग्रुप की मनमानी उजागर: 85 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जे का मामला हाईकोर्ट पहुंचा

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में संचालित वेदांता ग्रुप की मनमानी एक बार फिर उजागर हुई है। 85 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जे के गंभीर मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह मामला स्थानीय स्तर पर वर्षों से उठाया जा रहा था, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते अब यह न्यायालय तक पहुंच गया है।

पर्यावरणीय नियमों की धज्जियां उड़ाईं

बालको नगर स्थित संयंत्र के पास वेदांता ग्रुप ने वन विभाग की 85 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। यह क्षेत्र बड़े झाड़ के जंगल के अंतर्गत आता है, जो पर्यावरणीय रूप से अत्यंत संवेदनशील है। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत किसी भी वन क्षेत्र में बिना भारत सरकार की अनुमति के कोई गतिविधि संभव नहीं है, लेकिन वेदांता ग्रुप ने इन नियमों को ताक पर रखकर जंगल पर कब्जा कर लिया और निर्माण कार्य भी जारी रखा।

हाईकोर्ट के नोटिस के बावजूद जारी है अवैध निर्माण

जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता बृजेश सिंह ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी करने के बावजूद वेदांता ग्रुप का अवैध निर्माण कार्य अभी भी जारी है। यह न्यायपालिका की अवहेलना और प्रशासन की मिलीभगत को दर्शाता है।

संविधान और पर्यावरण कानूनों का खुला उल्लंघन

संविधान के अनुच्छेद 48(A) के तहत राज्य को पर्यावरण संरक्षण, वन एवं वन्यजीवों की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन कोरबा में इसकी अनदेखी हो रही है। इसके अलावा, अनुच्छेद 51(A) के तहत नागरिकों को प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का दायित्व सौंपा गया है, परंतु वेदांता ग्रुप ने निजी स्वार्थ के लिए पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है।

7 करोड़ की पेनल्टी भी बेअसर

इससे पहले नगर पालिक निगम कोरबा ने वेदांता ग्रुप पर 7 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई थी, लेकिन कंपनी ने इस पेनल्टी को चुनौती तक नहीं दी। यह दर्शाता है कि कंपनी अपने गैरकानूनी कृत्य से पूरी तरह अवगत थी, लेकिन उसने मनमानी जारी रखी।

क्या होगी सख्त कार्रवाई?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या वेदांता ग्रुप के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी या यह मामला भी सरकारी फाइलों में दफन हो जाएगा? 85 एकड़ जंगल की बर्बादी से न केवल स्थानीय लोगों और वन्य जीवों को नुकसान हुआ है, बल्कि पर्यावरण को जो क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई असंभव है।

प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजर

हाईकोर्ट के नोटिस के बाद प्रशासन और वन विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या सरकार और प्रशासन इस अवैध कब्जे को हटाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे, या फिर वेदांता ग्रुप की ताकत के आगे कानून भी बौना साबित होगा? न्यायालय का अगला रुख इस मामले में अहम साबित होगा।

Arpa News 36
Author: Arpa News 36