होलिका दहन 2025: बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व 13 मार्च को मनाया जाएगा

2025 में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होने वाला होलिका दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह दिन भक्तों के विश्वास के अनुसार उस ऐतिहासिक घटना को स्मरण कराता है, जब भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा करते हुए होलिका के अग्नि में भस्म हो गई थीं।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भद्रा काल का प्रभाव रहने के कारण, जो शुभ कार्यों के लिए अवांछनीय माना जाता है, होलिका दहन का सही समय भद्रा काल समाप्त होने के पश्चात् निर्धारित किया गया है।

  • मुहूर्त: रात 11:28 बजे से 12:15 बजे तक

पूर्णिमा तिथि का विवरण

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च, सुबह 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च, दोपहर 12:15 बजे

होलिका दहन की परंपरा और विधि
होलिका दहन की तैयारी शुभ मुहूर्त में पारंपरिक सामग्री जैसे लकड़ी, उपले (गोबर के कंडे), सूखी टहनियां और अन्य पूजन सामग्री से की जाती है। अग्नि प्रज्वलित करने से पूर्व होलिका की परिक्रमा की जाती है और इस अवसर पर गेंहू की बालियां, नारियल एवं अन्य धार्मिक सामग्री अर्पित की जाती हैं। यह आयोजन नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को जीवन में प्रवाहित करने का संदेश देता है।

✔ भद्रा काल में होलिका दहन न करें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
✔ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक और हानिकारक सामग्रियों का दहन न करें।
✔ परिवार के साथ मिलकर होलिका दहन करें और ईश्वर से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

इस प्रकार, होलिका दहन का यह पर्व न केवल परंपरा और धार्मिक आस्था को समर्पित है, बल्कि यह समाज में सकारात्मकता और एकता का भी प्रतीक बन चुका है।

Arpa News 36
Author: Arpa News 36