रायपुर : बहुप्रतीक्षित भारतमाला प्रोजेक्ट में हुए करोड़ों के मुआवजा घोटाले का मामला अब हाईकोर्ट पहुंचने वाला है। राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दी है और 48 घंटे के भीतर प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया, लेकिन कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने इस घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखने की बात कही है। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई कराने के लिए वे हाईकोर्ट का रुख करेंगे। महंत पहले भी विधानसभा में सीबीआई जांच की मांग उठा चुके हैं, लेकिन सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने कानूनी कदम उठाने का ऐलान किया था।
क्या है भारतमाला घोटाला?
आरोप है कि भारतमाला सड़क परियोजना के तहत अभनपुर क्षेत्र में किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, लेकिन मुआवजा वितरण के समय अफसरों और भू-माफियाओं ने रिकॉर्ड में हेरफेर कर 18 गुना ज्यादा राशि केंद्र सरकार से प्राप्त कर ली। अनुमान के मुताबिक, लगभग 600 करोड़ रुपये की अनियमितता हुई है।
एक किसान को 1 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन रिकॉर्ड में जमीन का साइज बढ़ाकर 18 करोड़ रुपये दिलाए गए। इस घोटाले में शामिल अफसरों और रसूखदारों ने भारी मुनाफा कमाया, जबकि वास्तविक किसानों को उनके हक की पूरी राशि नहीं मिली।
जांच में क्या हुआ खुलासा?
विभागीय जांच में पता चला है कि कुछ जमीन मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए अवैध तरीके से मुआवजा राशि वितरित की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक—
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अभनपुर क्षेत्र के नायकबांधा, भेलवाडीह, टोकनी और उरला गांवों में 43 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गलत तरीके से भुगतान किया गया।
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नायकबांधा में 1.8132 हेक्टेयर भूमि के लिए 1.58 करोड़ रुपये अधिक दिए गए।
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भेलवाडीह में 0.2238 हेक्टेयर भूमि के लिए 88 लाख रुपये ज्यादा बांटे गए।
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उरला में 0.3070 हेक्टेयर भूमि पर 2.69 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए गए।
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टोकनी में 0.220 हेक्टेयर भूमि पर 1.18 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हुआ।
खसरा हेरफेर कर 17 भू-स्वामियों को 97 में बदला गया
जिला प्रशासन की जांच में खुलासा हुआ कि रायपुर-विशाखापट्टनम इकनोमिक कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित भूमि में खसरा नंबरों में गड़बड़ी की गई। चार गांवों में जिन 17 किसानों के नाम जमीन दर्ज थी, उनकी संख्या बढ़ाकर 97 कर दी गई। इसी आधार पर सभी 97 लोगों को मुआवजा दिया गया।
रसूखदारों के परिवारों को फायदा
रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले में एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर जमीन चढ़ाकर मुआवजा बांट दिया गया। किसी परिवार के 12, किसी के 10, तो कुछ के 6-7 सदस्यों तक को लाभ मिला। इसमें घरेलू नौकरों तक के नाम जोड़े गए, ताकि अधिक से अधिक पैसा निकाला जा सके।
हाईकोर्ट में कानूनी कार्रवाई की तैयारी
इस मामले में चरणदास महंत ने साफ किया कि वे दोषियों को सजा दिलाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि 600 करोड़ रुपये की अनियमितता से केंद्र सरकार को भारी नुकसान हुआ है और इस मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है।
अब देखना यह होगा कि हाईकोर्ट में यह मामला किस दिशा में जाता है और क्या दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो पाती है या नहीं।
