सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 1.30 लाख शिक्षकों को बड़ा लाभ, क्रमोन्नति एरियर्स मिलने का रास्ता साफ

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से राज्य के करीब 1.30 लाख शिक्षकों के चेहरे खिल उठे हैं। सर्वोच्च न्यायालय की डबल बेंच ने राज्य सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया है, जिससे शिक्षकों को क्रमोन्नति एरियर्स मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस फैसले के बाद शिक्षकों को 7 लाख से लेकर 18 लाख रुपये तक का आर्थिक लाभ होने की संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षकों को राहत

शिक्षकों के लिए लंबे समय से पेंडिंग पड़े क्रमोन्नति वेतनमान को अब मंजूरी मिल गई है। जानकारी के अनुसार, कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं, जो एक ही पद पर 20 वर्षों से कार्यरत हैं। ऐसे शिक्षकों को डबल क्रमोन्नति का लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें 17 से 18 लाख रुपये तक की राशि मिलेगी। वहीं, सिंगल क्रमोन्नति पाने वाले शिक्षकों को 7 से 8 लाख रुपये का फायदा होगा।

राज्य सरकार पर 7500 करोड़ रुपये का वित्तीय भार

इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर लगभग 7500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। शिक्षकों की संख्या और देय एरियर्स की राशि को देखते हुए शिक्षा विभाग को अपने बजट का बड़ा हिस्सा इस भुगतान में खर्च करना पड़ सकता है। सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है और विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देने पर भी विचार किया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

2013 में तत्कालीन रमन सरकार ने शिक्षकों के नियमितीकरण के मुद्दे को हल करने के लिए क्रमोन्नत वेतनमान की घोषणा की थी। इस योजना के तहत, 10 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को यह वेतनमान मिलना था। हालांकि, सरकार ने बाद में समतुल्य वेतनमान देने का निर्णय लिया और क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर दिया।

इस फैसले के खिलाफ शिक्षिका सोना साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद पंचायत विभाग ने उन्हें राशि का भुगतान कर दिया, लेकिन शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया। इस पर सोना साहू ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जो अंततः सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षकों को राहत मिली है और उनके वर्षों से लंबित एरियर्स मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

शिक्षकों की खुशी, सरकार के लिए चुनौती

इस फैसले के बाद शिक्षकों में खुशी की लहर है, वहीं राज्य सरकार इस वित्तीय भार के कारण असमंजस में है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे फैसले की समीक्षा कर रहे हैं और इसके समाधान के लिए विचार-विमर्श जारी है। अब देखना होगा कि सरकार इस फैसले को लागू करने के लिए क्या कदम उठाती है।

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Author: Arpa News 36