रायपुर। राज्य विधानसभा में बुधवार को प्रस्तुत महालेखाकार (CAG) की रिपोर्ट ने स्थानीय निकायों की कार्यशैली और वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह रिपोर्ट वर्ष 2016 से 2022 तक की अवधि का आकलन करती है, जिसमें बजट आवंटन में असमानता, कचरा प्रबंधन में अनियमितताएँ और सरकारी संपत्तियों के अनुचित उपयोग जैसी गंभीर वित्तीय खामियाँ उजागर हुई हैं।
राज्य सरकार ने शहरी निकायों को कम बजट आवंटित किया
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों को अपेक्षाकृत कम बजट प्रदान किया, जिससे उनके विकास कार्य बाधित हुए। वर्ष 2015 से 2021 तक निकायों के कुल संसाधनों में स्वयं के राजस्व का हिस्सा मात्र 15 से 19 प्रतिशत रहा, जिससे इनकी वित्तीय स्थिति कमजोर बनी रही।
कचरा प्रबंधन में लापरवाही
महालेखाकार ने कचरा निपटान की अव्यवस्थित प्रणाली को भी उजागर किया। रिपोर्ट के अनुसार, कचरा प्रबंधन के लिए आवश्यक मानव संसाधनों की कमी के कारण संग्रहण, पृथक्करण और प्रसंस्करण प्रभावित हुआ, जिससे स्थानीय निकायों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
370 करोड़ रुपये की अनियमित खरीद
रिपोर्ट में बिना किसी योजना और आवश्यकता के 370 करोड़ रुपये की खरीदी को अनुचित और वित्तीय कुप्रबंधन का उदाहरण बताया गया है। इस खरीद में कई अप्रयुक्त सामग्रियाँ और सेवाएँ शामिल हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं हो सका।
EWS भूमि का दुरुपयोग, कॉलोनाइजर को 1.54 करोड़ रुपये का लाभ
महालेखाकार की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आवंटित भूमि का गलत उपयोग किया गया। भूमि का मूल्य कम निर्धारित कर कॉलोनाइजरों को अनुचित लाभ पहुँचाया गया, जिससे सरकार को 1.54 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
कोरबा नगर निगम में 7.88 करोड़ की अनियमितता
कोरबा नगर निगम द्वारा एक ठेकेदार को प्री-स्ट्रेस्ड सीमेंट पाइप्स के लिए ऊंची दरों पर भुगतान किया गया, जिससे 7.88 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय हुआ।
137 निकायों के ऑडिट में 1613 वित्तीय आपत्तियाँ दर्ज
महालेखाकार ने राज्य के 137 स्थानीय निकायों का ऑडिट किया, जिसमें 1613 वित्तीय आपत्तियाँ दर्ज की गईं। यह स्थानीय निकायों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।
अंबिकापुर नगर निगम का अनुकरणीय कार्य
रिपोर्ट में अंबिकापुर नगर निगम की सराहना की गई है। नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के तहत सूखे और गीले कचरे का पृथक्करण कर खाद निर्माण की प्रक्रिया को अपनाया, जिससे स्वच्छता व्यवस्था में सुधार हुआ।
सरकार से सुधारात्मक कदम उठाने की मांग
महालेखाकार की रिपोर्ट के आधार पर सरकार और संबंधित विभागों से आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत बताई गई है, जिससे शहरी निकायों की वित्तीय और प्रशासनिक स्थिति को मजबूत किया जा सके।
इस रिपोर्ट ने स्थानीय निकायों की कार्यशैली, वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है।
