हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी: अरपा की सफाई या फोटो सेशन?, अरपा नदी संरक्षण में लापरवाही, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अरपा नदी के संरक्षण और अवैध उत्खनन को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने नदी के सूखने और प्रशासनिक उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सिर्फ अधिकारियों की तस्वीरें प्रकाशित करने से नदी में पानी नहीं आएगा। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त कानून बनाने और अवैध उत्खनन पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी.एन. भारत ने बताया कि अवैध खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए छह सदस्यीय समिति गठित की गई है। यह समिति 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर खनन अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर असंतोष जताते हुए कहा कि प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, न कि केवल योजनाएं बनानी चाहिए। अरपा नदी की सफाई और पुनर्जीवन को लेकर बिलासपुर कलेक्टर द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी हाईकोर्ट ने सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि क्या कलेक्टर सफाई कर रहे हैं या केवल फोटो खिंचवाने के लिए दिखावा कर रहे हैं? यदि सफाई करनी है तो कलेक्टोरेट छोड़कर सफाई कर्मियों की तरह कार्य करें। हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अधिकारियों को अपना कर्तव्य गंभीरता से निभाना चाहिए, न कि केवल औपचारिकताएं पूरी करनी चाहिए।

सरकार की ओर से बताया गया कि अरपा नदी में गंदे पानी की निकासी रोकने के लिए पुणे की कंपनी स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार की गई परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रशासन को मिल चुकी है। पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसे मंजूरी मिलने के बाद 10 फरवरी को संशोधित प्लान प्रस्तुत किया गया। अब प्रशासनिक स्वीकृति के बाद टेंडर भी जारी हो चुका है। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर नजर रखते हुए निगम आयुक्त से शपथ पत्र देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अवैध उत्खनन जारी रहा तो दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कोर्ट ने अरपा नदी की सफाई और ट्रीटमेंट प्लांट की प्रगति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अवैध खनन रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए और नदी के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को निर्धारित की गई है।

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Author: Arpa News 36