धमतरी। भंवरमरा निवासी दुर्गेश कठौलिया की पुलिस कस्टडी में संदिग्ध हालात में हुई मौत ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। मामला साइबर सेल से जुड़ा है, जहां दुर्गेश को पूछताछ के नाम पर हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि पुलिस द्वारा की गई बर्बर पिटाई से उसकी मौत हो गई।
घटना के बाद धमतरी एसपी आंजनेय वार्ष्णेय ने कड़ा एक्शन लेते हुए निरीक्षक सन्नी दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही साइबर सेल में तैनात 11 पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया है। इनमें प्रधान आरक्षक लोकेश नेताम और आरक्षक युवराज ठाकुर, कृष्ण कन्हैया पाटिल, विकास द्विवेदी, मनोज साहू, मुकेश मिश्रा, आनंद कटकवार, फनेश साहू, योगेश नाग, दीपक साहू और किशोर देशमुख शामिल हैं।
पीड़ित परिवार के आरोप, कांग्रेस की जांच टीम सक्रिय
5 अप्रैल को कांग्रेस द्वारा गठित जांच समिति मृतक के गांव भंवरमरा पहुंची और परिजनों से मुलाकात की। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज के निर्देश पर गठित इस टीम में विधायक कुंवर सिंह निषाद, संगीता सिन्हा, अंबिका मरकाम, ओंकार साहू और जिलाध्यक्ष शरद लोहाना शामिल थे। टीम ने घटना की बिंदुवार जानकारी जुटाई और परिवार की आपबीती सुनी।
दुर्गेश की पत्नी दुर्गा कठौलिया ने बताया कि 29 मार्च को परिवार के साथ रतनपुर से दर्शन कर लौटते वक्त दुर्ग के डी-मार्ट में कुछ पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में आए और उनके पति को सरेआम बच्चों के सामने बेरहमी से पीटते हुए उठा ले गए। न कोई FIR दिखाई गई, न कोई वारंट। गाड़ी और जरूरी दस्तावेज भी जब्त कर लिए गए। बच्चों और पत्नी को धमका कर अकेला छोड़ दिया गया।
“मारपीट कर लाया गया अधमरे हालत में, फिर मांगी 50 लाख की डील”
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने दुर्गेश को अधमरे हालत में रात 8 बजे के करीब वापस उनके गांव लाकर, लोहे की जंजीरों से बांधकर घर में ही बेरहमी से पीटा। इतना ही नहीं, आरोप है कि पुलिस वालों ने 12 करोड़ की चोरी का झूठा आरोप लगाते हुए 50 लाख रुपये में मामला रफा-दफा करने की बात कही। एक व्यक्ति खुद को भाजपा नेता बताकर परिवार को धमकाता रहा।
इसके बाद रात 12 बजे दुर्गेश को फिर थाने ले जाया गया और वहीं उसकी मौत हो गई। परिजन कहते हैं, मौत उसी रात हो चुकी थी, लेकिन पुलिस ने अगले दिन यानी 31 मार्च को शव को ‘बीमार’ बताकर पोस्टमार्टम की इजाजत मांगी। जब परिवार ने शव देखे बिना हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, तो पुलिस ने शव तक नहीं दिखाया और उसे लावारिस की तरह रखने की कोशिश की।
पूरा मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम जनता में भी आक्रोश है। सवाल ये उठ रहा है कि क्या सिर्फ निलंबन और लाइन अटैच जैसी कार्रवाई से मामले का समाधान हो पाएगा? या फिर इस केस में न्याय पाने के लिए किसी बड़ी और निष्पक्ष जांच की जरूरत है?
फिलहाल कांग्रेस जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे पार्टी हाईकमान को सौंपा जाएगा। वहीं परिजन अब न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं।
