बिलासपुर। पति-पत्नी के रिश्ते में आई दरार और एक-दूसरे पर लगाए गए अवैध संबंधों के आरोपों के बीच छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत शामिल थे, ने यह स्पष्ट किया कि पति-पत्नी के बीच अब किसी भी तरह की सुलह की कोई संभावना नहीं बची है, इसलिए तलाक ही इस स्थिति में एकमात्र सही रास्ता है।
यह मामला 1994 में हुए एक विवाह से जुड़ा है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले इस दंपती के चार संतानें हैं – तीन बेटे और एक बेटी – जो वर्तमान में अपने पिता के साथ रह रहे हैं। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2014 में पत्नी जनपद सदस्य चुनी गईं, जिसके बाद उनके व्यवहार में बदलाव आया। पति का आरोप है कि पत्नी का एक पुलिस आरक्षक से संबंध बन गया और वह धीरे-धीरे उसी के साथ रहने लगी। उन्होंने कहा कि पत्नी ने न बच्चों की चिंता की, न घर की, और वर्ष 2016 से वह उनसे पूरी तरह अलग रह रही है।
पति ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी थी। सुनवाई के दौरान उनके बेटे ने भी इस बात की पुष्टि की कि उनकी मां अब एक पुलिसकर्मी के साथ रह रही हैं। वहीं, पत्नी की ओर से वह आरक्षक खुद गवाह के तौर पर कोर्ट में पेश हुआ।
11 अक्टूबर 2021 को फैमिली कोर्ट ने सभी पक्षों की बात सुनने के बाद पति के पक्ष में तलाक की डिक्री जारी कर दी। पत्नी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और पति पर प्रत्यारोप लगाया कि वह खुद एक अन्य महिला के साथ संबंध में है और उसी के साथ रह रहा है। साथ ही उसने यह भी आरोप लगाया कि पति ने उसके साथ मारपीट की और घर से निकाल दिया।
हालांकि, पत्नी ने यह स्वीकार किया कि वह वर्ष 2016 से पति से अलग रह रही हैं, लेकिन उन्होंने साथ रहने के लिए न तो किसी अदालत में याचिका दायर की और न ही कभी पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराई।
सभी तथ्यों और साक्ष्यों की गहन समीक्षा के बाद हाईकोर्ट ने माना कि अब दोनों के बीच रिश्तों की कोई गुंजाइश नहीं बची है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब दांपत्य जीवन पूरी तरह खत्म हो चुका हो, तो शादी को सिर्फ एक कानूनी औपचारिकता के तौर पर ढोना समाज और व्यक्ति दोनों के लिए व्यर्थ है। ऐसे में तलाक ही न्याय का रास्ता है।
यह फैसला उन तमाम दंपतियों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जो केवल सामाजिक डर या कानूनी झंझटों के कारण टूटे रिश्तों को जबरन ढोते हैं।
