गर्मियों में स्किन कैंसर से बचाव कैसे करें? जानिए सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका और ज़रूरी सावधानियां

कुरूद। गर्मियों में तेज़ धूप से बचने के लिए हम अक्सर टोपी, चश्मा और रूमाल का सहारा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की किरणें हमारी त्वचा के लिए कितनी हानिकारक हो सकती हैं?

वैज्ञानिकों की मानें तो सूरज की किरणों में ऐसे तत्व होते हैं जो त्वचा को झुलसा सकते हैं और स्किन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ लगातार सनस्क्रीन के इस्तेमाल की सलाह देते हैं – लेकिन इसके बावजूद लोग इसे लेकर काफी भ्रम में रहते हैं।

सूरज की किरणें कैसे करती हैं नुकसान?

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड गैलो बताते हैं कि सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणें हमारी त्वचा की कोशिकाओं के डीएनए और प्रोटीन को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे ना सिर्फ समय से पहले बूढ़े दिखने लगते हैं बल्कि स्किन कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है।

सनबर्न यानी धूप में झुलसना मेलेनोमा स्किन कैंसर के 80% मामलों की बड़ी वजह माना गया है।

सनस्क्रीन क्यों है ज़रूरी?

सनस्क्रीन सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से सुरक्षा देती है। इसकी बोतल पर जो ‘SPF’ लिखा होता है, वह सन प्रोटेक्शन फैक्टर है – जितना ज़्यादा SPF, उतनी ज़्यादा सुरक्षा। विशेषज्ञों का मानना है कि SPF 30 या उससे ज़्यादा और ‘ब्रॉड स्पेक्ट्रम’ सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि UVA और UVB दोनों किरणों से बचाव हो सके।

कब और कैसे लगाएं सनस्क्रीन?

  • धूप में निकलने से 20 से 30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगा लें।

  • इसे दो बार लगाना बेहतर होता है – पहली परत त्वचा पर बेस बनाती है, दूसरी परत से पूरा कवरेज मिलता है।

  • पसीना, पानी या कपड़ों की रगड़ से अगर सनस्क्रीन हट जाए तो दोबारा लगाना ज़रूरी है।

  • रोज़ाना सुबह 10 से शाम 4 बजे के बीच जब सूरज की किरणें सबसे तेज होती हैं, तब त्वचा को सबसे ज़्यादा सुरक्षा की जरूरत होती है।

क्या शीशे से छनकर आने वाली रोशनी भी नुकसान पहुंचाती है?

जी हां, गैलो बताते हैं कि खिड़की के शीशे UV-B किरणों को तो रोक लेते हैं, लेकिन UV-A किरणें अब भी अंदर आ सकती हैं जो धीरे-धीरे त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं।

विटामिन D और सनस्क्रीन

कुछ लोगों को लगता है कि सनस्क्रीन लगाने से शरीर में विटामिन D नहीं बनता, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। अध्ययनों के मुताबिक सनस्क्रीन का सही इस्तेमाल विटामिन D के निर्माण में कोई बड़ी बाधा नहीं बनता।

बच्चों के लिए कितनी मात्रा?

  • 2 साल तक के बच्चों को लगभग 2 टीस्पून,

  • 5 साल के बच्चों को 3 टीस्पून,

  • 13 साल के बच्चों को 5 टीस्पून सनस्क्रीन की जरूरत होती है।

  • 6 महीने से छोटे बच्चों को सनस्क्रीन नहीं लगानी चाहिए। उन्हें धूप से दूर और छाया में रखें।

एक और ज़रूरी बात

लीड्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड ब्लैकबर्न सलाह देते हैं कि सनस्क्रीन को किसी और स्किन प्रोडक्ट के साथ न मिलाएं। क्योंकि कुछ सनस्क्रीन में मौजूद ज़िंक ऑक्साइड जैसे नैनो पार्टिकल्स दूसरों के साथ मिलकर असर खो सकते हैं।

निष्कर्ष

सनस्क्रीन सिर्फ एक ब्यूटी प्रोडक्ट नहीं, बल्कि सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव की एक ज़रूरी ढाल है। स्किन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए रोज़ाना सही तरीके से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।

तो अगली बार जब धूप में निकलें, तो टोपी और चश्मा तो पहनें ही, लेकिन सनस्क्रीन लगाना बिल्कुल न भूलें।

Arpa News 36
Author: Arpa News 36