रायपुर : छत्तीसगढ़ में 723 आईटीआई प्रशिक्षण अधिकारियों की नौकरी पर एक बार फिर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। भर्ती के 12 साल बाद, अब इन अधिकारियों को आरोप पत्र जारी कर सेवा समाप्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे न सिर्फ इन कर्मचारियों में रोष है बल्कि उनके भविष्य को लेकर भारी अनिश्चितता भी है।
जानकारी के अनुसार, इन अधिकारियों की नियुक्ति वर्ष 2012 में हुई थी। लेकिन 6 अक्टूबर 2021 को शासन ने आरक्षण नियमों के पालन में त्रुटि का हवाला देते हुए सेवा समाप्त करने का नोटिस जारी किया था। इस फैसले के विरुद्ध कर्मचारियों ने बिलासपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जहां से उन्हें राहत मिली और नोटिस खारिज कर दिया गया।
बाद में मामला उच्चतम न्यायालय तक भी गया, जहां से भी कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय आया। इसके बावजूद, अब शासन ने एक बार फिर उन्हीं पुराने तथ्यों के आधार पर आरोप पत्र जारी कर दिए हैं, जिससे अधिकारियों में गहरी नाराजगी है।
आईटीआई कर्मचारी अधिकारी संघ ने इस कार्यवाही के विरोध में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को ज्ञापन सौंपा है। इस मौके पर संघ के प्रांताध्यक्ष विनोद कुमार साहू, गोविंद देवांगन, गजेंद्र साहू, पूजा मरकाम, जागृति दीवान, और कई अन्य सदस्य मौजूद थे।
प्रांताध्यक्ष श्री साहू ने मीडिया से कहा,
“यह निर्णय न केवल हाई कोर्ट बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सीधी अवहेलना है। अगर शासन ने कार्रवाई वापस नहीं ली, तो हम अन्य संगठनों के साथ मिलकर राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।”
संघ ने जल्द ही प्रेस कांफ्रेंस के जरिए आंदोलन की रूपरेखा घोषित करने की बात भी कही है। वर्तमान में सभी प्रशिक्षण अधिकारी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं और नौकरी को लेकर बेहद चिंतित हैं।
