रायपुर | आज के दौर में जब शादियों में हेलीकॉप्टर, लग्ज़री कार और भव्य सेटों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, वहीं कांकेर जिले के बांगाबारी गांव के लोकेश मरकाम ने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने अपनी शादी की बारात बैलगाड़ी से निकालकर न सिर्फ सादगी की मिसाल पेश की, बल्कि फिजूलखर्ची के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया।
लोकेश मरकाम, जो कि उप स्वास्थ्य केंद्र दुधावा में ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता (RHO) हैं और हिंदी साहित्य व समाजशास्त्र में एमए कर चुके हैं, ने बताया कि उन्होंने ये कदम अपनी संस्कृति से जुड़े रहने और परंपराओं को जीवित रखने के लिए उठाया।
बारात बांगाबारी से निकलकर करीब 10 किलोमीटर दूर बासनवाही के नयापारा तक गई। इस खास मौके के लिए चार बैलगाड़ियों को खूबसूरती से सजाया गया था, जिसमें लोकेश के परिजन और दोस्त सवार हुए। पूरे रास्ते भर ग्रामीणों ने जगह-जगह बारात का देसी अंदाज़ में स्वागत किया, और माहौल पूरी तरह पारंपरिक उत्सव में बदल गया।
दुल्हन, जो कि नारायणपुर के अति संवेदनशील क्षेत्र में एक स्टाफ नर्स हैं, ने भी इस कदम की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा, “बैलगाड़ी में बारात आना हमारे पूर्वजों की संस्कृति है, जिसे निभाना हमारे लिए गर्व की बात है।”
गांववालों ने बताया कि बैलगाड़ी की तलाश करनी भी नहीं पड़ी क्योंकि आज भी ग्रामीण जीवन में यह आम है। इस अनोखी शादी की चर्चा अब पूरे इलाके में है और लोग लोकेश की इस पहल की जमकर तारीफ कर रहे हैं।
लोकेश मरकाम की इस देसी शादी ने यह साबित कर दिया कि खुशियां दिखावे से नहीं, दिल से मनाई जाती हैं। बैलगाड़ी से बारात निकालकर उन्होंने समाज को एक सशक्त संदेश दिया है—अपनी संस्कृति से जुड़कर भी हम खास बन सकते हैं।
