नई दिल्ली । टेक्नोलॉजी जगत में एक बड़ा उलटफेर होने की संभावना जताई जा रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अग्रणी कंपनी OpenAI ने संकेत दिए हैं कि अगर Google को अमेरिकी सरकार के एंटीट्रस्ट केस के चलते अपनी Chrome ब्राउज़र जैसी संपत्तियां बेचनी पड़ीं, तो वह इन्हें खरीदने में दिलचस्पी दिखा सकती है।
यह बयान OpenAI के चैटजीपीटी प्रोडक्ट प्रमुख निक टरली ने हाल ही में दिया। उनका कहना है, “अगर कोर्ट गूगल को Chrome बेचने का आदेश देता है, तो OpenAI निश्चित रूप से इसमें रुचि रखेगा।” इससे यह साफ हो गया है कि OpenAI अब सर्च इंजन बाजार में पैर जमाने की तैयारी में है, और Chrome जैसा पॉपुलर ब्राउज़र उसकी राह आसान कर सकता है।
क्या है मामला?
अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल के खिलाफ मोनोपॉली के आरोपों में केस दर्ज किया है। DOJ का दावा है कि गूगल ने सर्च इंजन और डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में अपनी हैसियत का दुरुपयोग किया है और प्रतिस्पर्धा को खत्म करने की कोशिश की है। कोर्ट में यह भी चर्चा हो रही है कि गूगल को अपनी कुछ प्रमुख संपत्तियां जैसे Chrome या Android को अलग करना पड़ सकता है।
AI सेक्टर को लेकर अदालत की चिंता
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि गूगल का सर्च बाजार में वर्चस्व, उसे AI सेक्टर में अनुचित बढ़त दे सकता है। यह भी कहा गया कि गूगल का डेटा एक्सेस और यूजर बेस, AI डेवलपमेंट में अन्य कंपनियों को पीछे छोड़ सकता है।
हालांकि, गूगल का कहना है कि उसे माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी बड़ी कंपनियों से पहले से ही कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है।
OpenAI की रणनीति क्या हो सकती है?
अगर OpenAI को Chrome जैसा ब्राउज़र मिल जाता है, तो वह जनरेटिव AI + ब्राउज़र + सर्च का कॉम्बिनेशन बनाकर Google के Search वर्चस्व को चुनौती दे सकता है। इससे भविष्य में सर्च और ब्राउज़िंग का AI आधारित नया युग शुरू हो सकता है।
