रायपुर — छत्तीसगढ़ के सक्ती और कोडागांव जिलों के किसानों ने सूरजमुखी की खेती के जरिए इतिहास रच दिया है। केंद्र सरकार ने इस शानदार उपलब्धि की सराहना करते हुए इसे “कृषि के स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत” करार दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर इस पहल की खूब प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से प्रेरित होकर, सक्ती जिले के घुइचुनवा गांव के किसान रामायण मान्यवर और कई अन्य किसान पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर सूरजमुखी जैसी वैकल्पिक फसलें अपना रहे हैं। इससे न केवल उनकी आमदनी में इजाफा हो रहा है, बल्कि पानी पर निर्भरता भी कम हो रही है और फसल उत्पादकता में शानदार वृद्धि देखी जा रही है।
सूरजमुखी एक ऐसी फसल है जो रबी, खरीफ और गर्मी — तीनों मौसमों में शानदार उत्पादन देती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है और किसान राष्ट्रीय कृषि लक्ष्यों में अपना योगदान दे रहे हैं।
कोडागांव जिले में भी सूरजमुखी की नई किस्म KBSH-78 की पहली सफल खेती का जश्न मनाया जा रहा है। खिले हुए सूरजमुखी के फूल राज्य के कृषि भविष्य की चमकती तस्वीर पेश कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों और किसानों की मेहनत ने मिलकर यह साबित कर दिया है कि कृषि में विविधता लाकर और स्वदेशी तरीकों को अपनाकर देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किसानों को टिकाऊ और उच्च उपज वाली खेती अपनाने का जो संदेश दिया गया था, वह अब जमीनी हकीकत बन रहा है।
छत्तीसगढ़ के किसान न केवल अपने जीवन को बेहतर बना रहे हैं, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं।
