कुरूद में ‘भारत माला’ घोटाला! करोड़ों की जमीन हेराफेरी में बड़े नामों की एंट्री?

पटवारी, दलाल, कारोबारी… और एक ‘सुपरपॉवर’ का आशीर्वाद?

कुरूद। भारत सरकार की बहुचर्चित भारत माला सड़क परियोजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। अभनपुर तहसील के बाद अब कुरूद के सिवनीकला और आसपास गाँवों में जमीन मुआवजे को लेकर ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसकी परतें खुलती जा रही हैं। ग्रामीणों ने दस्तावेजों और सबूतों के साथ जो शिकायत सौंपी है, वह सिर्फ एक वित्तीय घोटाला नहीं बल्कि सिस्टम के भीतर की मिलीभगत की पोल खोलती है।

पर किसका है वरदहस्त?
सूत्रों की मानें तो इस हेराफेरी में सिर्फ किसान नहीं, बल्कि वो पटवारी भी शामिल हैं जिनका नाम अक्सर नेताओं के करीबियों की सूची में आता है। जमीन के दलालों का नेटवर्क भी चर्चा में है, जिनका संबंध इलाके के चर्चित कारोबारियों और रसूखदारों से बताया जा रहा है।

ग्रामीण बोले – हेराफेरी सुनियोजित थी
शिकायत करने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि इस खेल की प्लानिंग बहुत पहले से थी। मुआवजा देने में नियमों का फायदा उठाया गया, जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया और करोड़ों रुपये का मुआवजा बांट दिया गया।

18 लाख की बजाय 1 करोड़ का मुआवजा कैसे?
प्रति एकड़ 18 लाख रुपये तय था लेकिन बटांकन के बाद वही ज़मीन 1 करोड़ से ज़्यादा के मुआवजे में तब्दील हो गई। एक जैसे खसरा नंबर होने और रकबे में अंतर के बावजूद 102 लोगों को एक जैसा भुगतान मिलना – क्या ये महज संयोग है?

पावरफुल’ लोगों की परछाईं!
कई ऐसे नाम चर्चा में हैं जो खुद सामने नहीं आए, लेकिन उनकी साया व्यवस्था पर भारी है। ग्रामीणों का इशारा साफ है – “बिना ऊँची पहुंच के इतनी बड़ी रकम की अदायगी और दस्तावेजों की हेराफेरी संभव नहीं।”

शिकायतकर्ता कौन-कौन हैं?
प्रमोद कुमार चंद्राकर, कुलेश्वर साहू, संजु कुमार तारक, तीजूराम धृतलहरे, अमित कुमार, दुली चंद्राकर, भारत लाल पटेल, निरंजन और अन्य ग्रामीणों ने लिखित शिकायत में जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

      शासन को लगाया चुना

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें जो जानकारी मिली है, उसमें 90 लोगों ने जमीन का बटांकन कर शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है। जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन 1 जनवरी 2019 को हुआ था। इसके बाद अप्रैल 2019 से लेकर मई 2019 तक जमीन का बटांकन किया गया। एकड़ के हिसाब से मुआवजा लेने की बजाय जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। बटांकन एक परिवार के लोगों के बीच होना था लेकिन कई लोगों ने जमीन का बटांकन रिश्तेदार और पड़ोसियों के नाम पर कर दिया। जिनके नाम पर जमीन नहीं है और न ही किसी ऋण पुस्तिका में उनका नाम है, ऐसे लोगों को बटांकन कर जमीन का मालिक बनाया गया । मुआवजा मिलने के बाद राशि की बंदरबाट भी कर ली गई।ग्रामीणों ने बताया कि जहां से सड़क निकली है, वहां पर उपसरपंच के नाम पर जमीन नहीं है, लेकिन उसे भी बटांकन में हेराफेरी कर लाभ दिया गया है। सरपंच पति, पूर्व जनपद सदस्य, ग्राम पटेल की जमीन को कई टुकड़ों में बांटा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि किसी जमीन का 8 तो किसी का 15 हिस्सा किया गया। इस धांधली में कई रसूखदार भी शामिल हैं। पहले सड़क गणेश, कार्तिक, बैसाख और संतराम की जमीन से निकल रही थी। रसूखदारों ने दिल्ली से सर्वे टीम बुलाकर इसकी दिशा में परिवर्तन कराया। अब सड़क समीर और टेकेश्वर की जमीन से निकली है। विडंबना यह है कि गणेश, कार्तिक, बैसाख, संतराम सहित अन्य लोगों को भी मुआवजा मिल गया है जिनकी जमीन ही सड़क की जद में नहीं आई है।

🔍 कैसे खेली गई साजिश?

➡️ जनवरी 2019: जमीन अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी।
➡️ अप्रैल–मई 2019: तेजी से बटांकन की प्रक्रिया शुरू हुई।
➡️ जमीन को बांट दिया गया: एकड़ के बजाय छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर मुआवजा बढ़ाया गया।
➡️ बटांकन का गलत इस्तेमाल:

  • एक ही परिवार में बांटने की बजाय रिश्तेदारों और पड़ोसियों के नाम बटांकन कर दिया गया।

  • जिनके नाम भूमि रिकॉर्ड में नहीं थे, उन्हें नकली मालिक बना दिया गया।

  • ऋण पुस्तिका में जिनका कोई ज़िक्र नहीं, ऐसे नामों पर मुआवजा पास हुआ।

➡️ फिर क्या हुआ? मुआवजा मिलते ही राशि की बंदरबांट कर ली गई।


👉 क्या अब खुलेंगे नाम?

क्या प्रशासन इस ‘सुनियोजित मुआवजा घोटाले’ में कुरूद के खास नेताओं के करीबियों और सिस्टम के पावरप्लेयरों की भूमिका की जांच करेगा? या यह भी दूसरी खबरों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

पूरी कहानी अभी बाकी है… ARPA NEWS पर दस्तावेजों के आधार पर नामों सहित अगला खुलासा चौंका सकता है!

Arpa News 36
Author: Arpa News 36

The polls that belong to this category are expired or unpublished