ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कुकरेल धरना प्रदर्शन 8 जुलाई को नगरी में किसान हितों की रक्षा के लिए आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और किसान शामिल हुए। यह विरोध प्रदर्शन खाद-बीज की किल्लत, महंगाई और सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित किया गया।
विधायक अंबिका मरकाम ने की किसानों से सीधी बातचीत
सिहावा विधानसभा की विधायक अंबिका मरकाम इस वृहद धरने में विशेष रूप से शामिल हुईं। उन्होंने किसानों की समस्याएं गंभीरता से सुनीं और आश्वस्त किया कि कांग्रेस पार्टी हर स्तर पर किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि आज की सरकार की नीतियों के कारण किसान संकट में हैं—न तो समय पर खाद-बीज मिल रहा है और न ही फसल का उचित मूल्य। कांग्रेस किसानों के पक्ष में विधानसभा से लेकर सड़क तक संघर्ष करती रहेगी।
किसानों की मांगें और संघर्ष का संकल्प
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समय पर खाद-बीज की उपलब्धता
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फसल का वाजिब मूल्य
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बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण
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किसान विरोधी नीतियों की समाप्ति
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि किसान इस देश की रीढ़ हैं, और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर कोई सरकार विकास का दावा नहीं कर सकती।
विरोध के स्वर: कांग्रेस नेताओं का बयान
📣 मोहन लालवानी (पूर्व आयोग अध्यक्ष)
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो कांग्रेस चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगी। किसानों की उपेक्षा किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी।
📣 अखिलेश दुबे (ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष)
उन्होंने इस आंदोलन का सफल नेतृत्व करते हुए कहा कि सरकार के कुशासन और संवेदनहीनता के खिलाफ यह विरोध आवश्यक था। कांग्रेस कार्यकर्ता हर स्तर पर किसानों के लिए संघर्षरत रहेंगे।
कार्यक्रम में हुई व्यापक भागीदारी
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख नाम:
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नीलम चंद्राकर (जिला पंचायत सदस्य)
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रोहित मानिकपुरी, संतोषी साहू, चंद्रकिरण नेताम, छबि सिन्हा
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युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और एनएसयूआई के कार्यकर्ता
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बड़ी संख्या में किसान और कांग्रेसजन
आंदोलन का उद्देश्य और ज्ञापन सौंपना
इस ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कुकरेल धरना प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को चेतावनी देना और प्रशासन को किसानों की समस्याओं से अवगत कराना था। कार्यक्रम के अंत में एक ज्ञापन प्रशासन को सौंपा गया, जिसमें किसानों की मांगों का विस्तृत उल्लेख था।
ब्लॉक कांग्रेस कमेटी कुकरेल धरना प्रदर्शन ने किसानों की आवाज को एकजुटता के साथ सामने लाने का कार्य किया। यह आंदोलन न सिर्फ विरोध का प्रतीक था, बल्कि एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत जनहित की मांगों को शासन तक पहुँचाने का जरिया भी बना। विधायक अंबिका मरकाम और कांग्रेस नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार समय रहते निर्णय नहीं लेती, तो संघर्ष और तेज़ किया जाएगा।
