रायपुर : छत्तीसगढ़ खाद-बीज संकट विधानसभा हंगामा का कारण बन गया है, जिससे मानसून सत्र की शुरुआत ही तीखे विवादों और आरोप-प्रत्यारोप से हुई। 14 जुलाई 2025 को विधानसभा के शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पूरे राज्य में खाद की भारी कमी का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि किसान बाजार से दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
शून्यकाल में उठा खाद की कमी का मुद्दा
चरणदास महंत ने उठाया सवाल
नेता प्रतिपक्ष ने सदन में 23 विधायकों के समर्थन से स्थगन प्रस्ताव पेश किया और तत्काल चर्चा की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पूरी तरह किसानों की उपेक्षा कर रही है।
भूपेश बघेल का सरकार पर तीखा हमला
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार किसानों को राहत देने में नाकाम रही है। उन्होंने यह मुद्दा राज्य के किसानों के सम्मान और भविष्य से जोड़ते हुए सरकार की नीतियों को विफल बताया।
स्थगन प्रस्ताव और सरकार की प्रतिक्रिया
कृषि मंत्री ने दी सफाई
कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने खाद-बीज संकट पर वक्तव्य देते हुए कहा कि सरकार लगातार प्रयासरत है और आपूर्ति सामान्य करने के लिए केंद्र सरकार से संवाद कर रही है।
आसंदी ने प्रस्ताव को अग्राह्य बताया
विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री के उत्तर के बाद स्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिससे विपक्ष भड़क गया।
विपक्ष का गर्भगृह तक प्रदर्शन
विधानसभा कार्यवाही 5 मिनट स्थगित
गंभीर हंगामे के बीच कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए गर्भगृह तक पहुंच गए, जिससे सदन की कार्यवाही को 5 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा।
विपक्षी विधायकों का निलंबन और धरना
गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने गर्भगृह में विरोध के चलते कांग्रेस विधायकों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया।
“किसान-विरोधी” करार दी सरकार
निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना दिया और सरकार को “किसान-विरोधी” करार दिया।
सत्र की कार्यवाही स्थगित
15 जुलाई तक स्थगन की घोषणा
लगातार नारेबाजी और हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही को 15 जुलाई, सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
संभावित मुद्दे और आगे की रणनीति
खाद-बीज आपूर्ति, किसान नीति पर घेराबंदी
विपक्ष ने साफ कर दिया है कि छत्तीसगढ़ खाद-बीज संकट विधानसभा हंगामा के रूप में केवल शुरुआत है। आने वाले दिनों में विपक्ष किसानों की मांगों को लेकर सरकार पर और ज्यादा दबाव बनाएगा।
