स्कूली बच्चों के भारी बस्ते पर रोक 2025: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, अब सिर्फ चार विषयों की किताबें

📚 स्कूली बच्चों के भारी बस्ते पर रोक 2025: बच्चों की पीठ पर नहीं होगा अनावश्यक भार

स्कूली बच्चों के भारी बस्ते पर रोक 2025 की पहल छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए की गई है। रायपुर जिले के धरसींवा विकासखंड में शिक्षा अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि अब विद्यार्थियों को स्कूल केवल चार विषयों की किताबें ही लानी होंगी। यह फैसला बच्चों की रीढ़ और मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ते बोझ को देखते हुए लिया गया है।

🩺 बस्ते के बोझ का बच्चों की सेहत पर असर

अधिकारियों के अनुसार अत्यधिक वजन वाले स्कूल बैग के कारण बच्चों को पीठ दर्द, कंधों में जकड़न, थकावट और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं हो रही थीं।
शिक्षा विभाग ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए ठोस कदम उठाया है जिससे बच्चों की सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

📘 नए दिशा-निर्देश: स्कूलों में लागू किए जाएंगे ये बदलाव
🔹 टाइम टेबल में संशोधन
  • प्रतिदिन केवल 4 विषयों की किताबें लानी होंगी।

  • अभ्यास पुस्तिकाएं पूर्णतः वर्जित रहेंगी।

  • यदि किसी कक्षा में चार से अधिक विषय पढ़ाए जाते हैं, तो अतिरिक्त किताबें स्कूल में ही रखी जाएंगी।

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🔹 पानी की बोतल पर नियम
  • विद्यार्थियों को 500 एमएल से अधिक की बोतल लाने की अनुमति नहीं होगी।

  • स्कूल को साफ पानी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है ताकि छात्र बोतल रिफिल कर सकें।

🔹 निरीक्षण और निगरानी
  • प्रत्येक स्कूल में निरीक्षण दल बनाए गए हैं जो बैग की नियमित मॉनिटरिंग करेंगे।

  • रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।

🏫 प्राचार्यों को निर्देश: सख्ती से हो पालन

शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल प्रमुखों से अपील की है कि वे इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें ताकि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की भी सुरक्षा हो सके।

👨‍👩‍👧‍👦 अभिभावकों की प्रतिक्रिया: मिली राहत

इस निर्णय से अभिभावकों ने राहत की सांस ली है।
कई वर्षों से बच्चों के बस्ते के अत्यधिक वजन को लेकर चिंताएं व्यक्त की जा रही थीं। यह कदम विद्यार्थियों और उनके परिवारों दोनों के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है।

स्कूली बच्चों के भारी बस्ते पर रोक 2025 से सेहतमंद भविष्य की ओर

स्कूली बच्चों के भारी बस्ते पर रोक 2025 शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। इस कदम से यह उम्मीद की जा सकती है कि अब बच्चे शारीरिक रूप से अधिक स्वस्थ रहेंगे और पढ़ाई का बोझ मानसिक नहीं बनेगा।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu