🧑🦽 समाज कल्याण विभाग की दिव्यांग सहायता योजना: कुरूद में ट्रायसिकल वितरण से नई उम्मीदें
समाज कल्याण विभाग की दिव्यांग सहायता योजना के अंतर्गत 18 जुलाई को जनपद पंचायत कुरूद में दिव्यांगजनों को ट्रायसिकल वितरित की गई। यह पहल दिव्यांग नागरिकों को उनकी दैनिक जीवनशैली में सहजता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेशन की दिशा में ले जाने हेतु की गई।
जनपद अध्यक्ष गीतेश्वरी साहू ने ग्राम जोरातराई (अ) निवासी भानु साहू एवं मोहन निषाद को हैंड-ट्रायसिकल प्रदान करते हुए कहा कि इस प्रकार की योजनाएं दिव्यांगजनों के लिए एक नया जीवन-संकल्प लेकर आती हैं। यह उन्हें न केवल सुविधा देती है, बल्कि समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करती है।
🎯 योजना का उद्देश्य और महत्व
📜 दिव्यांग सहायता योजना की रूपरेखा
समाज कल्याण विभाग की दिव्यांग सहायता योजना का प्रमुख उद्देश्य दिव्यांगजनों को सशक्त बनाना, उनकी गतिशीलता बढ़ाना और उन्हें समाज में समान भागीदारी दिलाना है।
🧑🦼 ट्रायसिकल का महत्व दिव्यांगजनों के लिए
हैंड ट्रायसिकल न केवल एक साधन है बल्कि दिव्यांगों के लिए स्वतंत्रता और आत्मसम्मान का प्रतीक बनती है। इससे वे अपने रोजमर्रा के कार्यों को बिना किसी पर निर्भर हुए कर सकते हैं।
🏢 कुरूद में आयोजित वितरण कार्यक्रम
🎁 प्रमुख लाभार्थी: भानु साहू और मोहन निषाद
ग्राम जोरातराई (अ) के निवासी भानु साहू और मोहन निषाद ने ट्रायसिकल पाकर प्रसन्नता जताई और सरकार व विभाग का आभार व्यक्त किया।
👩💼 जनपद अध्यक्ष गीतेश्वरी साहू की सहभागिता
कार्यक्रम में गीतेश्वरी साहू ने ट्रायसिकल वितरण करते हुए कहा कि ऐसे प्रयास दिव्यांगजनों को जीवन में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास देते हैं।
👥 जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति
📋 झालेंद्र कंवर और अन्य गणमान्य
कार्यक्रम में पंचायत के अधिकारी व कर्मचारी जैसे झालेंद्र कंवर, रामकुमार सोनी, दिनेश चंद्राकर, रामस्वरूप साहू सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे, जिन्होंने कार्यक्रम की सफलता में सक्रिय भागीदारी निभाई।
🏛️ समाज कल्याण विभाग की योजनाओं का प्रभाव
💪 दिव्यांगजनों की आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
इस योजना के माध्यम से दिव्यांगों को सुविधा मिलती है, जिससे वे खुद के रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सहभागिता में सक्रिय हो सकते हैं।
🤝 सामाजिक समावेशन और समान अवसर
इस तरह की योजनाएं विकलांगता के प्रति समाज की सोच को भी सकारात्मक दिशा देती हैं और दिव्यांगों को बराबरी का हक दिलाने में सहायक होती हैं।
