धमतरी: प्रदेश का सबसे बड़ा पंडित रविशंकर जलाशय (गंगरेल) का सफल सुरक्षा परीक्षण

धमतरी : धमतरी जिले में स्थित प्रदेश का सबसे बड़ा पंडित रविशंकर जलाशय (गंगरेल) न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि मध्य भारत के लिए एक जीवनरेखा माना जाता है। मंगलवार को इसकी सुरक्षा और तकनीकी मजबूती सुनिश्चित करने के लिए सभी 14 गेटों का परीक्षण किया गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, गेटों को पाँच मिनट के लिए खोला गया और इस प्रक्रिया में पूरे सिस्टम की तकनीकी जांच की गई।

सुरक्षा के लिए समय-समय पर परीक्षण अनिवार्य
गेट संचालन और आपातकालीन स्थिति में तत्परता

परीक्षण कार्यवाही के बाद 12 गेट बंद कर दिए गए जबकि शेष 2 गेटों से नियंत्रित रूप से पानी रुद्री बैराज की ओर छोड़ा गया। यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है ताकि आपातकालीन स्थिति में गेटों का संचालन सुचारू रहे।

तकनीकी उपकरणों की जांच

अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान सभी उपकरण सही पाए गए और जलाशय की स्थिति पूरी तरह सुरक्षित है। बांध की सुरक्षा, जल प्रबंधन और निचले क्षेत्रों में पानी के वितरण को नियमित बनाए रखने के लिए इस तरह की कार्यवाही बेहद ज़रूरी है।

गंगरेल बांध का बहुआयामी महत्व
सिंचाई और पेयजल आपूर्ति

यह जलाशय छत्तीसगढ़ के हजारों किसानों के खेतों को सिंचाई उपलब्ध कराता है और साथ ही धमतरी सहित कई क्षेत्रों के लिए पेयजल की मुख्य व्यवस्था है।

बिजली उत्पादन में योगदान

बांध से बिजली उत्पादन भी होता है, जिससे प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति में मदद मिलती है।

मत्स्य पालन और पर्यटन

गंगरेल बांध मत्स्य पालन का एक प्रमुख केंद्र है। साथ ही यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है, जहां हर साल हजारों सैलानी घूमने आते हैं।

नियमित परीक्षण से बांध की सुरक्षा सुनिश्चित

जल संसाधन विभाग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो समय-समय पर की जाती है। इससे न केवल बांध की संरचना मजबूत बनी रहती है, बल्कि जल प्रबंधन, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होता है।

धमतरी का प्रदेश का सबसे बड़ा पंडित रविशंकर जलाशय (गंगरेल) छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा है। हालिया परीक्षण से यह स्पष्ट हो गया है कि जलाशय पूरी तरह सुरक्षित है और जल प्रबंधन सुचारू रूप से जारी रहेगा। आने वाले समय में भी इस प्रकार की नियमित कार्यवाहियाँ बांध की मजबूती और सुरक्षा को सुनिश्चित करती रहेंगी।

 

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu