गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियां को राहत
गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियां अब पुनः मछली पालन कर पाएंगी। इस निर्णय से प्रभावित समितियों और मछुआरों में खुशी की लहर है। बीते दिनों समितियों के प्रतिनिधि धमतरी, कांकेर और बालोद जिलों से राजधानी रायपुर पहुंचे और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से मुलाकात कर आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री का आश्वासन और सहयोग
मुख्यमंत्री ने न केवल मछुआरों की मांगें सुनीं, बल्कि उन्हें राहत भी प्रदान की। उन्होंने गंगरेल डुबान क्षेत्र में जनसुविधा के लिए एक एम्बुलेंस उपलब्ध कराने और ग्रामीणों की सुविधा हेतु राष्ट्रीय बैंक की शाखा खोलने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सरकार का उद्देश्य गरीबों और वंचितों को उनके अधिकार दिलाना और स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
नीलामी से प्रभावित हुई आजीविका
वर्ष 2023 में गंगरेल जलाशय को निजी व्यक्ति को नीलामी के माध्यम से दिया गया था, जिससे गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। इससे पहले जलाशय समितियों को लीज पर दिया जाता था और लगभग 1200 परिवार मछली पालन कर अपनी आजीविका चला रहे थे। नीलामी के बाद मछुआरों का रोजगार घट गया और कई परिवार आर्थिक संकट में फंस गए।
संघर्ष और समाधान
समितियों ने कई बार कलेक्टर और राज्य सरकार से इस समस्या को उठाया। अंततः मुख्यमंत्री की पहल पर 8 अगस्त 2025 को गंगरेल जलाशय का अनुबंध निरस्त किया गया। अब मछुआरों को रॉयल्टी आधार पर मछली पालन की अनुमति दी गई है। यह कदम मछुआरों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
भविष्य की दिशा
गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियां चाहती हैं कि जलाशय उन्हें पहले की तरह लीज पर उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि नई मत्स्य नीति में आवश्यक सुधार कर समितियों को पुनः लीज पर अधिकार दिलाया जाएगा। इससे मछुआ परिवारों को स्थायी रोजगार और बेहतर आजीविका सुनिश्चित हो सकेगी।
आयोजन और उपस्थिति
मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में धमतरी महापौर श्री रामू रोहरा, पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष श्रीमती हर्षिता पांडेय सहित 11 मछुआ सहकारी समितियों के सदस्य शामिल हुए। इनमें ग्राम उरपुरी, तेलगुड़ा, मोगरागहन, कोलियारी पुराना, कोलियारी नया, गंगरेल, फुटहामुड़ा, तुमाबुजुर्ग, अलोरी, भिलाई और देवीनवागांव की समितियां प्रमुख रहीं। बड़ी संख्या में ग्रामीण और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।
स्पष्ट है कि गंगरेल बांध डुबान क्षेत्र की मछुआ सहकारी समितियां लंबे संघर्ष के बाद अपने अधिकार वापस पाने में सफल हुई हैं। सरकार का यह निर्णय न केवल मछुआरों की आजीविका को सुरक्षित करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार और ग्रामीण विकास को भी बढ़ावा देगा।







