कुरुद में नालियों के गलत लेबल से जलभराव की समस्या उजागर
कुरुद । कुरुद में नालियों के गलत लेबल से जलभराव की समस्या एक बार फिर से सामने आ गई जब बंगाल की खाड़ी से आई नमीयुक्त हवा के कारण करीब घंटे भर हुई मूसलधार बारिश ने पूरी ड्रेनेज व्यवस्था की पोल खोल दी। तेज गरज-चमक के साथ हुई बारिश ने निचली बस्तियों के कई घरों को जलमग्न कर दिया। स्थानीय लोगों का मानना है कि नालियों का निर्माण तकनीकी मानकों के अनुसार नहीं किया गया, जिसके कारण सड़कों पर पानी जाम हो रहा है।
गूगल मैप पर निर्भरता बनी बड़ी गलती
ग्रामीणों और जानकारों ने आरोप लगाया कि नाली निर्माण के दौरान अधिकारी मौके पर न जाकर ऑफिस में बैठकर गूगल मैप के सहारे काम समझाते हैं। यही वजह है कि कई जगह नालियों की दीवारें सड़कों के लेवल से भी ऊंची बना दी गईं। जिन नालियों को पानी निकासी के लिए बनाया गया था, वही अब पानी के उल्टे बहाव का कारण बनकर जलभराव की स्थिति पैदा कर रही हैं।
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या केवल तकनीकी अनदेखी का नतीजा नहीं है बल्कि इसमें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी शामिल है। निर्माण कार्यों के दौरान लेबल पर ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि सरकारी धन खर्च करने और उससे होने वाली अतिरिक्त आय पर अधिक ध्यान दिया गया।
इस लापरवाही का खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। कई परिवारों के घरों में पानी भर गया और लोग घंटों परेशान रहे।
पांच साल की भर्राशाही और नई सख्ती
नगर पालिका संचालन व्यवस्था से जुड़े एक जिम्मेदार व्यक्ति ने स्वीकार किया कि पिछले पांच सालों में इस तरह की भर्राशाही खूब हुई है। ठेकेदारों और अधिकारियों ने बिना लेबल जांच के निर्माण करवा दिए, जिसके कारण आज ऐसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
हालांकि अब प्रशासन ने सख्ती दिखाई है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुरुद में नालियों के गलत लेबल से जलभराव की समस्या को रोकने के लिए बिना लेबल जांच के कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा।
बारिश से बढ़ती दिक्कतें
बरसात के दिनों में इस तरह की तकनीकी अनदेखी के परिणाम ज्यादा गंभीर हो जाते हैं। मूसलधार बारिश के कारण जलभराव बढ़ता है और सड़कों पर घंटों तक पानी जमा रहता है। इससे न केवल यातायात प्रभावित होता है बल्कि बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
ग्रामीणों की मांग और उम्मीदें
ग्रामीण चाहते हैं कि भविष्य में नालियों के निर्माण के समय तकनीकी मानकों का पालन किया जाए और अधिकारी स्वयं स्थल निरीक्षण करें। गूगल मैप या मानचित्र पर निर्भर होकर निर्माण कराने से केवल सरकारी धन की बर्बादी होती है और जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है।
कुरुद में नालियों के गलत लेबल से जलभराव की समस्या केवल बारिश का मुद्दा नहीं है बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और तकनीकी अनदेखी का नतीजा है। यदि अब भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है। सख्ती और तकनीकी मानकों का पालन ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।







