फर्जी प्रमाण पत्र और अंक तालिका में हेरफेर कर चयन का था मामला
मगरलोड : फर्जी प्रमाण पत्र और अंक तालिका में हेरफेर कर चयन कराने का था मामला, जिसने मगरलोड थाना क्षेत्र में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। वर्ष 2007 की शिक्षाकर्मी वर्ग-03 भर्ती प्रक्रिया में हुए इस घोटाले को लेकर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की। आरोपियों पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और अंकों में हेरफेर कर अपात्र अभ्यर्थियों को चयनित कराने तथा पात्र अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवारों को जानबूझकर वंचित करने के गंभीर आरोप लगे।
मगरलोड पुलिस ने दर्ज किया था मामला
थाना मगरलोड में इस प्रकरण पर अपराध क्रमांक 124/11 दर्ज किया गया था। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (जालसाजी कर दस्तावेज तैयार करना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग), 120-बी (षड्यंत्र) तथा एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(9) और 4 के तहत कार्यवाही की।
आरोपियों का विवरण और गिरफ्तारी
जाँच के दौरान प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर 17 सितंबर 2025 को पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया।
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ईशु कुमार, निवासी कमरौद, थाना मगरलोड, जिला धमतरी
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सिता राम, निवासी मेघा, थाना मगरलोड, जिला धमतरी
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कोमल सिंह, निवासी मोहंदी, थाना मगरलोड, जिला धमतरी
साक्ष्यों ने खोला हेरफेर का राज़
जांच में सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी प्रमाण पत्र और अंक तालिका में हेरफेर कर चयन का मामला खड़ा किया। वे जानबूझकर ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत कर रहे थे, जिनसे अपात्र अभ्यर्थियों को फायदा और पात्र अनुसूचित जाति-जनजाति उम्मीदवारों को नुकसान हो। यह न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि समाज में असमानता और अन्याय को भी बढ़ावा देता है।
न्यायिक प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया और उन्हें न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। अब इस मामले में आगे की सुनवाई न्यायालय में होगी। माना जा रहा है कि यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो उन्हें कड़ी सजा मिल सकती है।
फर्जीवाड़ा रोकने पर जोर
यह मामला सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल न केवल योग्य अभ्यर्थियों के अधिकार छीनता है, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
फर्जी प्रमाण पत्र और अंक तालिका में हेरफेर कर चयन का मामला एक बड़ा घोटाला साबित हुआ है, जिसमें मगरलोड पुलिस ने निर्णायक कदम उठाकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह घटना बताती है कि फर्जीवाड़ा चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो, कानून की पकड़ से बचना संभव नहीं है।







