अकरकरा जड़ी-बूटी लाभ: आयुर्वेदिक औषधि जो दर्द और सूजन में देती है राहत

नई दिल्ली । आयुर्वेद में “अकरकरा जड़ी-बूटी लाभ” एक बेहद उपयोगी और प्राचीन चिकित्सा विधि के रूप में जानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Anacyclus Pyrethrum है और इसे पाइरेथ्रम रूट भी कहा जाता है। अकरकरा की तासीर गर्म होती है, और इसके सेवन से पहले आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह जरूरी होती है। यह औषधीय पौधा भारत, उत्तरी अफ्रीका और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पाया जाता है।

🌿 अकरकरा का परिचय और पारंपरिक उपयोग

अकरकरा (Akarakarra) एस्टेरेसी परिवार का एक जंगली पौधा है जो मुख्यतः जम्मू-कश्मीर और बंगाल में पाया जाता है। चरक संहिता जैसे ग्रंथों में इसे औषधीय पौधों की श्रेणी में रखा गया है।

🩺 अकरकरा के प्रमुख औषधीय गुण
1. दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन में राहत

अकरकरा जड़ी-बूटी लाभ में सबसे प्रमुख है इसके दर्द निवारक और सूजन कम करने वाले गुण। सरसों के तेल या लौंग तेल के साथ इसका चूर्ण मसूड़ों पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है।

2. घाव और सूजन को ठीक करना

इस जड़ी-बूटी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व घाव भरने में सहायक होते हैं। इसे घाव पर लगाने से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

3. हिचकी और बुखार में असरदार

हिचकी की समस्या में अकरकरा चूर्ण को शहद के साथ लेने से राहत मिलती है। बुखार की दशा में यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

⚠️ सावधानियां और उपयोग की सीमाएं
  • इसकी तासीर गर्म होने के कारण गर्भवती महिलाओं और पाचन संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों को बिना चिकित्सकीय परामर्श के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

  • लंबे समय तक सेवन करने से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

📚 आयुर्वेद में अकरकरा का महत्व

चरक संहिता में अकरकरा को “अग्निवेश” नाम से जाना गया है। यह औषधि मुख्यतः सूजन और घाव के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। इसके अलावा इसे पुरुषों की यौन क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों में भी गिना जाता है।

अकरकरा जड़ी-बूटी लाभ आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से महत्वपूर्ण स्थान रखती है। चाहे वह दांत दर्द हो, मसूड़ों की सूजन या फिर हिचकी और बुखार – इस औषधीय पौधे में मौजूद प्राकृतिक यौगिक कई समस्याओं का समाधान प्रदान करते हैं। हालांकि, इसके उपयोग में सावधानी बरतना और विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu