बस्तर संभाग में अतिवृष्टि और मुख्यमंत्री की पहल
बस्तर संभाग में अतिवृष्टि से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। पिछले सप्ताह आई भारी बारिश और बाढ़ ने हजारों परिवारों को प्रभावित किया। विदेश दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दंतेवाड़ा पहुंचकर समीक्षा बैठक की और जिला कलेक्टरों को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिए।
राहत शिविरों में व्यवस्थाएं
बाढ़ पीड़ितों के लिए सरकार ने राहत शिविरों में राशन, दवाई, इलाज, गैस चूल्हे और सिलेंडर उपलब्ध कराए हैं।
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दैनिक जीवन के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
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चिकित्सा दल प्रभावित गांवों में पहुंचकर इलाज उपलब्ध करा रहे हैं।
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पीड़ित परिवारों को त्वरित राहत राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है।
दस्तावेजों की पुनः तैयारी
बाढ़ के पानी में नष्ट हुए दस्तावेजों को दोबारा बनाने का काम शुरू हो चुका है।
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किसानों को नई किसान किताबें वितरित की जा रही हैं।
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नए राशन कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड और बैंक पासबुक तैयार कर दिए जा रहे हैं।
इससे प्रभावित परिवार भविष्य की सरकारी योजनाओं और मुआवजा योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
नुकसान का आकलन और मुआवजा
राजस्व विभाग की टीमें घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं।
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मकान, पशु, फसल और घरेलू सामग्री के नुकसान का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है।
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प्रभावितों को उनकी पात्रता के अनुसार सहायता राशि तुरंत प्रदान की जा रही है।
पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मुआवजा सीधे खातों में ट्रांसफर किया जा रहा है।
किसानों और ग्रामीणों की उम्मीदें
किसानों ने सरकार की इस पहल को सराहा है।
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लोहंडीगुड़ा तहसील के मांदर गांव के किसान मुरहा पटेल ने कहा कि बाढ़ के बाद जीवन बर्बाद लग रहा था, लेकिन सरकार की त्वरित मदद ने उन्हें नई उम्मीद दी है।
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प्रभावित ग्रामीणों का मानना है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रशासन ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया है।
सरकार की संवेदनशील पहल
इस बार की अतिवृष्टि ने न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त किया बल्कि कृषि और आजीविका पर भी गहरा असर डाला। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने राहत कार्य, पुनर्वास और भविष्य की सुरक्षा के लिए एक व्यापक योजना बनाई है।
बस्तर संभाग में अतिवृष्टि ने कई परिवारों को कठिनाइयों में डाला है, लेकिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राहत और मुआवजा कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। दस्तावेजों की पुनः तैयारी, आर्थिक सहायता और पुनर्वास योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार आपदा के समय पीड़ितों को अकेला नहीं छोड़ रही। इस संवेदनशील पहल ने प्रभावित परिवारों में एक नई उम्मीद और विश्वास जगाया है।
