भारतमाला परियोजना से किसानों की परेशानी: जलभराव और अव्यवस्था से बढ़ा संकट

कुरूद : भारतमाला परियोजना से किसानों की परेशानी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश और निर्माण कार्यों में अनियमितताओं ने किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं। विशाखापट्टनम सड़क निर्माण के अंतर्गत बनाए जा रहे अंडरपास के बंद होने और नालों की सफाई न होने के कारण भरदा क्षेत्र के सैकड़ों किसान प्रशासन से शिकायत करने को मजबूर हुए।

बारिश और निर्माण अव्यवस्था ने बिगाड़ी खेती की हालत
1. खेत बने जलसंग्रहण केंद्र
  • ग्राम भरदा के किसानों ने बताया कि ठेकेदारों ने ब्रिज के नीचे के बड़े नाले को वेस्टेज मटेरियल से भर दिया है।

  • इसका नतीजा यह हुआ कि पानी का बहाव रुक गया और आसपास के खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए।

2. दोबारा बोवाई की नौबत
  • किसानों का कहना है कि लगातार दो साल से इसी कारण उनकी फसलें प्रभावित हुई हैं।

  • इस वर्ष भी भारी बरसात के चलते दोबारा बोवाई करनी पड़ रही है, जिससे आर्थिक नुकसान बढ़ गया है।

अधूरा अंडरब्रिज बना बाधा, सुविधा नहीं

भारतमाला परियोजना से किसानों की परेशानी का एक बड़ा कारण है अधूरा पड़ा अंडरब्रिज। किसानों ने बताया कि इसे उनकी सुविधा के लिए बनाया गया था, जिससे वे एक खेत से दूसरे खेत तक आसानी से जा सकें। लेकिन आज तक इसे चालू नहीं किया गया।

“अब हमें खेत बदलने के लिए 1-2 किलोमीटर घुमाना पड़ता है, जिससे समय और डीज़ल दोनों का नुकसान हो रहा है,” – लेखराज चन्द्राकर, किसान

किसानों की मांग और प्रशासन की प्रतिक्रिया
किसानों की ओर से ज्ञापन सौंपा गया
  • किसानों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर अंडरब्रिज को चालू करने और नाला साफ कराने की मांग की है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया
  • राजस्व विभाग के अधिकारी ने मौका निरीक्षण का आश्वासन दिया और कहा कि जल्द समाधान के लिए कार्यवाही की जाएगी।

प्रभावित किसानों की सूची में बढ़ोतरी

ग्राम भरदा के अलावा आसपास के कई गांवों के किसान भी अब इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता और अव्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहे हैं। तुलसी साहू, गोवर्धन, शन्नी ध्रुव और गधेश्वर नगारची जैसे अनेक किसानों की फसलें भी डूब चुकी हैं।

भारतमाला परियोजना से किसानों की परेशानी प्रशासनिक लापरवाही और निर्माण संबंधी मानकों की अनदेखी का नतीजा है। जब तक अंडरब्रिज को चालू नहीं किया जाता और नालों की सफाई सुनिश्चित नहीं होती, तब तक किसानों का संकट बना रहेगा। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इन शिकायतों को गंभीरता से लेकर स्थायी समाधान करता है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu