रायपुर : भूपेश बघेल ईडी छापेमारी की खबर सामने आते ही छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल सा आ गया है। शुक्रवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित निवास पर दबिश दी। यह कार्रवाई किस केस को लेकर है—महादेव सट्टा एप घोटाला, आबकारी घोटाला या कोल स्कैम—इस पर फिलहाल स्पष्ट जानकारी नहीं है।
महादेव एप घोटाले से जुड़ी है कार्रवाई?
ईडी की यह छापेमारी उस समय हुई है जब एजेंसी पिछले कई महीनों से महादेव ऑनलाइन सट्टा एप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। माना जा रहा है कि इस घोटाले में अरबों रुपए का अवैध लेनदेन हुआ है। इस एप के जरिये देशभर में सट्टेबाजी का नेटवर्क फैला हुआ था।
🏘️ विजय अग्रवाल से भूपेश बघेल तक: ईडी की जांच का फैलाव
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने इससे पहले होटल व्यवसायी विजय अग्रवाल के घर छापा मारा था। अग्रवाल का नाम महादेव एप केस से जुड़ा हुआ है। उनके निवास से मिले दस्तावेजों और डिजिटल डेटा के विश्लेषण के बाद अब एजेंसी ने भूपेश बघेल ईडी छापेमारी का कदम उठाया है।
💻 क्या मिले हैं सुराग?
ईडी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने कई डिजिटल उपकरण, बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज और प्रॉपर्टी के रिकॉर्ड जब्त किए हैं। फिलहाल, किसी गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मनी ट्रेल खंगालने का कार्य चल रहा है।
🗨️ भूपेश बघेल का पलटवार: राजनीतिक बदले की कार्रवाई
ईडी की इस कार्रवाई के तुरंत बाद भूपेश बघेल ने X (पूर्व में ट्विटर) पर तीखा हमला किया। उन्होंने लिखा:
“ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। साहेब ने ED भेज दी है।”
इस बयान से बघेल ने संकेत दिया कि यह छापा राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।
📈 राजनीतिक प्रभाव और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
भूपेश बघेल ईडी छापेमारी के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि विधानसभा सत्र के अंतिम दिन यह कार्रवाई महज विपक्ष को दबाने का प्रयास है।
⚖️ क्या होगी अगली कार्रवाई?
-
ईडी अब केस में और गहराई से जांच करेगी।
-
जिन लेन-देन का ज़िक्र मनी ट्रेल में हुआ है, उन पर पूछताछ हो सकती है।
-
भविष्य में अन्य राजनेताओं और कारोबारियों पर भी शिकंजा कस सकता है।
भूपेश बघेल ईडी छापेमारी ने यह साबित कर दिया है कि महादेव सट्टा एप केस सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील बन चुका है। जहां एक ओर ईडी साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे राजनीतिक प्रतिशोध बता रहा है। आने वाले दिनों में इस प्रकरण का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।
