रायपुर : बिलासपुर एजुकेशन सिटी के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के शैक्षणिक भविष्य को एक नया आयाम देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बिलासपुर को प्रदेश का आधुनिक एजुकेशनल हब बनाने की घोषणा की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए कुल 100 करोड़ रुपये की लागत स्वीकृत की गई है और इसका निर्माण बिलासपुर नगर निगम की 13 एकड़ भूमि पर किया जाएगा।
शिक्षा को लेकर सरकार की दूरदर्शी योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिलासपुर एजुकेशन सिटी 2025 छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी। यह परियोजना ना केवल छात्रों के लिए बेहतर शैक्षणिक वातावरण प्रदान करेगी, बल्कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मददगार सिद्ध होगी।
नालंदा परिसर और डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना
एजुकेशन सिटी के अंतर्गत एक नालंदा परिसर बनाया जाएगा, जिसमें 500 विद्यार्थी एक साथ अध्ययन कर सकेंगे। इसमें फिजिकल और डिजिटल दोनों प्रकार की लाइब्रेरी होंगी, जिससे छात्रों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। यह छात्रों के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
बहुमंजिला कोचिंग भवन: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र
इस परियोजना में तीन बहुमंजिला कोचिंग इमारतें तैयार की जाएंगी। प्रत्येक इमारत में 16 हॉल सेटअप होंगे, जिनमें एक साथ 4,800 छात्र क्लास ले सकेंगे। इससे छत्तीसगढ़ के युवाओं को UPSC, PSC, NEET, JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।
हॉस्टल, ऑडिटोरियम और खेल सुविधाएं
बिलासपुर एजुकेशन सिटी में केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि आवास, मनोरंजन और खेल गतिविधियों का भी ध्यान रखा गया है:
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1000 छात्रों के लिए हॉस्टल
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700 सीटों वाला अत्याधुनिक ऑडिटोरियम
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एस्ट्रोटर्फ युक्त खेल मैदान
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मल्टी लेवल पार्किंग
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हरियाली से भरा गार्डन
बिलासपुर राज्य गठन के बाद से ही शैक्षणिक केंद्र के रूप में तेजी से उभरा है। यहां पहले से ही SECL मुख्यालय, रेलवे डीआरएम ऑफिस, केंद्रीय विश्वविद्यालय, दो अन्य विश्वविद्यालय, 8 कॉलेज और 100 से अधिक कोचिंग संस्थान हैं। लगभग 50,000 छात्र-छात्राएं इस क्षेत्र में अध्ययनरत हैं, जो इसे एक प्राकृतिक एजुकेशनल हब बनाता है।
बिलासपुर एजुकेशन सिटी केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को नए युग में ले जाने का प्रयास है। इससे ना केवल छात्रों को बेहतर संसाधन मिलेंगे, बल्कि प्रदेश में प्रतिभा का पलायन भी रुकेगा। यह परियोजना छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में विशेष स्थान दिलाने में मदद करेगी।
