कुरूद : बोल बम सेवा समिति कुरूद ने अपनी 25 वर्षों की परंपरा को कायम रखते हुए सावन महोत्सव 2025 पर 250 काँवरियों का जत्था बाबा बैजनाथ धाम (देवघर, झारखंड) के लिए रवाना किया। कुरूद में नगर पंचायत अध्यक्ष ज्योति चंद्राकर और रायपुर में विधायक अजय चंद्राकर ने कांवरियों को भगवा गमछा पहनाकर विधिवत विदाई दी। इस बार यात्रा को रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया, जिसमें श्रद्धा और सेवा का संगम देखने को मिला।
25 वर्षों की श्रद्धा और सेवा का प्रतीक
रजत जयंती वर्ष का विशेष आयोजन
बोल बम सेवा समिति कुरूद हर वर्ष सावन माह में काँवर यात्रा का आयोजन करती है। इस वर्ष समिति ने अपनी 25वीं यात्रा को रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया और विशेष व्यवस्था के तहत 100 काँवरियों को एक बस व 150 को ट्रेन से देवघर रवाना किया।
काँवर यात्रा का शुभारंभ
नगर पंचायत अध्यक्ष और विधायक ने दी शुभकामनाएं
शनिवार को चंडी मंदिर, जलेश्वर महादेव परिसर में पूजा अर्चना के बाद अध्यक्ष ज्योति चंद्राकर ने कांवरियों को विदा किया। वहीं रायपुर में विधायक अजय चंद्राकर ने भगवा गमछा पहनाकर सभी श्रद्धालुओं को शुभ यात्रा की कामना की।
यात्रा की व्यवस्था और योजना
ट्रेन, बस, होटल और भोजन की पहले से तैयारी
समिति अध्यक्ष भानु चंद्राकर ने बताया कि सभी काँवरियों के लिए ट्रेन आरक्षण, होटल बुकिंग, बस व्यवस्था, और भोजन का प्रबंध पहले ही किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया कि पूरे मार्ग में सभी श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
यात्रा का विस्तृत विवरण
रायपुर से जसीडीह तक की यात्रा
18 घंटे की रेल यात्रा के बाद सभी काँवरिए जसीडीह स्टेशन पहुँचे, जहाँ से उन्हें देवघर स्थित होटल ले जाया गया।
सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किमी पैदल यात्रा
सुल्तानगंज (बिहार) में गंगा स्नान कर काँवरिए 105 किलोमीटर की कठिन लेकिन आस्थापूर्ण यात्रा शुरू करते हैं। यह यात्रा तीन दिन में पूरी कर सभी काँवरिए बाबा बैजनाथ मंदिर पहुँचते हैं।
धार्मिक आस्था और भक्तिभाव का संगम
गंगा स्नान और बाबा बैजनाथ का जलाभिषेक
काँवरिए लोटे में गंगाजल भरकर बाबा बैजनाथ और मैया पार्वती को अर्पित करते हैं। यह क्रिया गहन आस्था और भक्ति का प्रतीक होती है।
समिति की भूमिका और योगदान
सेवक सदस्यों की समर्पित सेवा
बोल बम सेवा समिति कुरूद के सेवक सदस्य हर पड़ाव पर जल, भोजन और विश्राम की व्यवस्था संभालते हैं। उनका समर्पण समिति की सफलता का आधार है।
काँवरियों का अनुभव और भावनाएं
श्रद्धा, त्याग और अनुशासन की मिसाल
काँवर यात्रा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि एक मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक यात्रा भी है। हर काँवरिया इसमें शामिल होकर अपने जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त करता है।
सावन महोत्सव की परंपरा
क्षेत्रीय समाज का सामूहिक भागीदारी
इस आयोजन में क्षेत्र के सभी वर्गों की भागीदारी होती है। गरीब-अमीर सभी काँवरिए एक समान सेवा और सम्मान पाते हैं।
