छत्तीसगढ़ में बच्चों की डूबने से मौत: दो दिन में पांच मासूमों की दर्दनाक जान गई

रायपुर : छत्तीसगढ़ में बच्चों की डूबने से मौत की दो दुखद घटनाओं ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और बस्तर जिले में शनिवार और रविवार को पानी में डूबने से पांच बच्चों की मौत हो गई। दोनों ही घटनाएं लापरवाही, सुरक्षा की कमी और बच्चों की निगरानी में चूक की ओर इशारा करती हैं।

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की घटना: तालाब बना काल
खेत गए माता-पिता, बच्चों की मस्ती में बदली मौत

रविवार को अंबागढ़ चौकी थाना क्षेत्र के छछानपाहरी गांव में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। नव्यांश (6), लक्ष्य साहू (7) और खेमांशू (7) — तीन दोस्त स्कूल की छुट्टी पर घर के बाहर खेल रहे थे। माता-पिता खेतों में काम कर रहे थे, और बच्चों की निगरानी नहीं थी।

खेलते-खेलते तीनों बच्चे कर्मा मंदिर के पास बने नये तालाब में उतर गए। उन्हें तैरना नहीं आता था और तालाब का एक हिस्सा अत्यधिक गहरा था। कुछ ही समय में तीनों डूब गए।

गांव में मातम और प्रशासन की प्रतिक्रिया

बच्चों के नहीं लौटने पर परिजन परेशान हुए और तालाब के पास बच्चों की चप्पलें मिलने पर अनहोनी का अंदेशा हुआ। ग्रामीणों की मदद से शव बरामद हुए और गांव में गहरा शोक फैल गया। यह घटना छत्तीसगढ़ में बच्चों की डूबने से मौत की भयावहता को दर्शाती है।

बस्तर की खदान में डूबे दो मासूम
खेलते-खेलते पहुंच गए खदान के पानी में

शनिवार को परपा थाना क्षेत्र में दो बच्चे खदान के पानी से भरे गड्ढे में खेलते हुए चले गए और डूब गए। यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे, और न ही कोई चेतावनी बोर्ड लगा था।

SDRF और ग्रामीणों ने चलाया रेस्क्यू

सूचना मिलते ही SDRF टीम ने ग्रामीणों की मदद से बच्चों के शव गड्ढे से निकाले। पोस्टमॉर्टम के लिए शवों को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया।

हैं इस तरह की घटनाओं के पीछे कारण?
सुरक्षा उपायों की कमी

तालाब, खदान और जल स्रोतों के पास कोई सुरक्षा घेरा या संकेत नहीं होना ऐसी घटनाओं की बड़ी वजह है। बच्चों को जोखिम का अंदाज़ा नहीं होता और ऐसे में हादसे हो जाते हैं।

बच्चों की निगरानी में चूक

ग्रामीण इलाकों में माता-पिता खेतों में व्यस्त होते हैं और बच्चे अकेले खेलते हैं। उनकी गतिविधियों पर निगरानी नहीं होने से जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।

शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का बयान

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने घटना पर दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने अधिकारियों को सुरक्षा उपायों को कड़ा करने के निर्देश भी दिए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

इन घटनाओं ने एक बार फिर दिखाया है कि ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन कितना असावधान है। इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में बच्चों की सुरक्षा पर कई सवाल उठ चुके हैं।

छत्तीसगढ़ में बच्चों की डूबने से मौत रोकना अब प्राथमिकता होनी चाहिए

छत्तीसगढ़ में बच्चों की डूबने से मौत की दो घटनाएं राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। प्रशासन को ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, माता-पिता और समुदाय को भी बच्चों की निगरानी और शिक्षण पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों की ज़िंदगी अमूल्य है — इसे यूँ बहने से रोकना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu