छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025: मोदी की गारंटी पर फूटा गुस्सा, 11 मांगों पर प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025: मांगों की अनदेखी पर उग्र प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025 ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। 16 जुलाई को फेडरेशन के आह्वान पर राज्यभर के कर्मचारी और अधिकारी अपने 11 सूत्रीय मांगपत्र को लेकर सड़कों पर उतर आए। राजधानी रायपुर स्थित इंद्रावती भवन से लेकर हर जिले, विकासखंड और तहसील मुख्यालय तक विरोध-प्रदर्शन हुआ।

आंदोलन का पृष्ठभूमि और कारण

छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों को उम्मीद थी कि उन्हें केंद्र सरकार की तर्ज पर सुविधाएं और भत्ते मिलेंगे। लेकिन ऐसा होते न देखकर फेडरेशन ने छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025 की शुरुआत की।

मोदी की गारंटी बनाम राज्य की हकीकत

प्रदर्शनकारियों का मुख्य तर्क यही रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समानता की “गारंटी” दी थी। यदि केंद्र के कर्मचारियों को DA मिल रहा है तो राज्य के कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों?

11 सूत्रीय मांगें: कर्मचारियों की मुख्य अपेक्षाएँ
केंद्र के समान महंगाई भत्ता (DA/DR)

राज्य कर्मचारियों को केंद्र के बराबर DA नहीं मिल रहा, जबकि महंगाई का असर सभी पर समान है।

लंबित DA एरियर का GPF/CPF में समायोजन

वर्षों से लंबित महंगाई भत्ते के एरियर को कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में जोड़ने की मांग की जा रही है।

अनुकंपा नियुक्तियों में पारदर्शिता

फेडरेशन चाहता है कि अनुकंपा नियुक्ति में भाई-भतीजावाद को हटाकर योग्यता और समयबद्धता को प्राथमिकता दी जाए।

पंचायत सचिवों का शासकीयकरण

पंचायत सचिव वर्षों से संविदा पर कार्यरत हैं। उनकी नियमित नियुक्ति की मांग इस आंदोलन में प्रमुख है।

भवन भत्ता पुनर्संरचना और स्थानांतरण नीति

कर्मचारियों का कहना है कि भवन भत्ता आज की परिस्थितियों के अनुरूप नहीं है और स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।

वेतन विसंगतियाँ और अन्य समस्याएँ

विभिन्न विभागों के वेतनमान में असमानता और विसंगति को दूर करने की मांग भी पुरजोर है।

रायपुर से लेकर जिलों तक: प्रदर्शन की झलक
इंद्रावती भवन में सशक्त उपस्थिति

राजधानी के नवा रायपुर में हजारों कर्मचारी एकजुट होकर शांतिपूर्ण ढंग से नारेबाजी करते दिखे।

जिलों, विकासखंडों में समानांतर प्रदर्शन

राज्य के सभी जिलों में रैली निकाली गई और कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा गया।

कर्मचारियों की भावनाएँ और नारे
“गारंटी दी है तो निभानी भी होगी”

यह नारा सबसे अधिक गूंजा, जिसमें केंद्र की ओर से दी गई गारंटी को लागू करवाने की मांग थी।

भेदभाव के विरुद्ध आवाज

कर्मचारी एक सुर में पूछते नजर आए – “हमसे ही भेदभाव क्यों?”

सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति
टोकन स्ट्राइक की चेतावनी

यदि सरकार ने समय रहते पहल नहीं की, तो 22 अगस्त को पूरे राज्य में टोकन स्ट्राइक की जाएगी।

संभावित चरणबद्ध आंदोलन

इसके बाद आंदोलन चरणबद्ध तरीके से तेज़ करने की रणनीति पर भी विचार किया गया है।

पहले भी उठ चुकी हैं ये मांगें
पूर्व आंदोलनों से सबक

यह पहला मौका नहीं है जब फेडरेशन ने आंदोलन किया हो। पहले भी इन मांगों पर चर्चा हो चुकी है, लेकिन समाधान अधूरा रहा।

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025 की दिशा

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन आंदोलन 2025 राज्य कर्मचारियों की दशकों पुरानी समस्याओं को लेकर खड़ा हुआ है। यदि राज्य सरकार ने इन मांगों पर संवेदनशील रवैया नहीं अपनाया, तो प्रशासनिक कार्यों पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है। “गारंटी” देने के बाद उसे निभाना भी सरकार की जिम्मेदारी है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu