रायपुर । छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही पाठ्यपुस्तक स्कैनिंग समस्या ने शिक्षक वर्ग को बड़ी परेशानी में डाल दिया है। पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा स्कैनिंग के बाद ही पुस्तक वितरण की अनिवार्यता ने शिक्षकों को तकनीकी बाधाओं से जूझने पर मजबूर कर दिया है।
सर्वर डाउन और बारकोड की कमी बनी बड़ी चुनौती
टीबीसी ऐप के माध्यम से प्रत्येक पुस्तक के बारकोड और ISBN को स्कैन करना आवश्यक किया गया है। लेकिन रोजाना सर्वर डाउन की समस्या, कई पुस्तकों में बारकोड की अनुपलब्धता और स्कैनिंग में लगने वाला अतिरिक्त समय शिक्षकों को उनकी मूल जिम्मेदारी – अध्यापन – से दूर कर रहा है।
शिक्षकों पर मानसिक दबाव, कार्यक्षमता प्रभावित
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के अनुसार, अधिकारियों द्वारा निरंतर दबाव बनाकर शिक्षकों से घर पर स्कैनिंग करवाने की मौखिक हिदायत दी जा रही है। इसके कारण शिक्षक मानसिक रूप से तनाव में हैं। उच्च दर्ज संख्या वाले विद्यालयों में यह कार्य मानो “पहाड़ चढ़ने” जैसा हो गया है।
विद्यार्थी और पालक भी हो रहे हैं परेशान
पाठ्यपुस्तक स्कैनिंग समस्या के चलते विद्यार्थी अब तक पुस्तकें नहीं पा सके हैं। इससे शैक्षणिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पालक संस्था प्रमुखों और शिक्षकों से बार-बार पुस्तक मिलने की तारीख पूछ रहे हैं, जिससे हालात और गंभीर हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल
पाठ्यपुस्तक स्कैनिंग की अनिवार्यता पूर्व में हुई लापरवाहियों की प्रतिक्रिया मानी जा रही है, जहां कुछ अधिकारियों ने शेष पुस्तकों को कबाड़ में बेच दिया था। परंतु मौजूदा नियमों से शिक्षक और छात्र ही भुगत रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग की आधिकारिक जानकारी पर और जानें।
समाधान की दिशा में सुझाव
टीचर्स एसोसिएशन की मांग है कि जो पुस्तकें संस्थाओं में पहुंच चुकी हैं, उनका ऑफलाइन वितरण तुरंत शुरू किया जाए। शेष पुस्तकों के वितरण के लिए मजबूत मॉनिटरिंग प्रणाली लागू की जाए ताकि किसी भी छात्र का शैक्षणिक नुकसान न हो।
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पाठ्यपुस्तक स्कैनिंग समस्या केवल एक तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षक-छात्रों की मानसिक स्थिति पर सीधा असर डाल रही है। समय रहते इस पर ठोस और व्यावहारिक निर्णय लेना आवश्यक है।
