रेत खनन नीति में सुधार से राज्य को मिल रहा नया दिशा-निर्देश
रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रेत खनन नीति में सुधार के तहत राज्य में खनिज दोहन को संगठित, पारदर्शी, पर्यावरण-संवेदनशील और जनहितकारी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। पूर्ववर्ती सरकार के शासनकाल में जहां रेत खदानों की संख्या 300 से घटकर लगभग 100-150 रह गई थी, वहीं अब नई नीति के तहत पुनः संतुलन स्थापित किया जा रहा है।
तीव्र पर्यावरणीय मंजूरी से प्रक्रिया में गति
राज्य सरकार ने पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया को गति देने के लिए तीन राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण समितियाँ गठित की हैं। पहले केवल एक समिति कार्यरत थी, जिससे पर्यावरणीय स्वीकृतियों में देरी होती थी। इस सुधार से रेत खदानों की स्वीकृति प्रक्रिया में पारदर्शिता और तीव्रता आई है।
रेत खदानों की संख्या में बढ़ोतरी
नई नीति के तहत वर्तमान में 119 खदानें विधिवत पर्यावरणीय मंजूरी के साथ संचालित हैं। साथ ही, 94 अन्य खदानों की स्वीकृति प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अगले 1 से 1.5 वर्षों में लगभग 300 नई खदानें मंजूरी के लिए प्रस्तावित हैं, जिससे रेत की आपूर्ति निर्बाध रूप से सुनिश्चित होगी और निर्माण कार्यों में गति आएगी।
वैज्ञानिक आधार पर खनन: IIT रुड़की की रिपोर्ट
IIT रुड़की द्वारा की गई स्टडी से यह स्पष्ट हुआ है कि नियंत्रित और पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया खनन नदियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता। यह रिपोर्ट रेत खनन नीति में सुधार की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि को मजबूत करती है।
अवैध खनन पर सख्त कार्यवाही
2024–25 की कार्रवाई रिपोर्ट:
विवरण | आँकड़े |
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दर्ज प्रकरण | 6,331 |
वसूली राशि | ₹18.02 करोड़ |
जब्त मशीनें | 184 |
एफआईआर | 56 |
न्यायालयीन परिवाद | 57 |
जिला और राज्य स्तर पर गठित टास्क फोर्स में खनिज, राजस्व, पुलिस, परिवहन और पर्यावरण विभाग शामिल हैं जो लगातार अवैध खनन पर निगरानी रख रहे हैं।
जनहित को प्राथमिकता: प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को राहत
15 मार्च 2024 को लिए गए निर्णय के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र हितग्राहियों को रेत पर रॉयल्टी से छूट दी गई है। इससे कमजोर वर्ग के लोगों को घर निर्माण में सीधी राहत मिली है।
भविष्य की नीति: स्थायित्व और पारदर्शिता का समन्वय
सरकार की नीति स्पष्ट है—खनिज संसाधनों का दोहन वैज्ञानिक, पारदर्शी और संतुलित तरीके से किया जाए। यह नीति:
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निर्माण क्षेत्र को मजबूती देगी
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पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करेगी
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रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी
