छत्तीसगढ़ स्कूलों में बैगलेस डे: किताबों से आज़ादी का नया कदम
छत्तीसगढ़ स्कूलों में बैगलेस डे अब हर महीने दो बार मनाया जाएगा, जिससे छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ रचनात्मकता, खेल और संवाद की गतिविधियों का अनुभव मिलेगा। राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 22 जुलाई 2025 को जारी नए निर्देश के अनुसार, कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए यह पहल लागू की जा रही है।
बैगलेस डे क्या है और क्यों जरूरी है?
बैगलेस डे एक ऐसा दिन होता है जब छात्रों को स्कूल आने के लिए किताबें और कॉपी नहीं लानी होतीं। इसके पीछे उद्देश्य है कि बच्चे बिना तनाव के सीखें और विद्यालय का अनुभव आनंददायक हो।
बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत का संबंध
भारी स्कूल बैग बच्चों की पीठ, गर्दन और कंधे पर बुरा असर डालते हैं। बैगलेस डे से यह भार कम होगा और छात्र खुलकर सोच सकेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशें
नई शिक्षा नीति में यह स्पष्ट कहा गया है कि सीखने की प्रक्रिया को रोचक और बहुआयामी बनाया जाना चाहिए, जिसमें बैगलेस डे जैसी पहलें काफी मददगार साबित होती हैं।
छत्तीसगढ़ में बैगलेस डे का नया आदेश
शिक्षा विभाग ने राज्य भर के सभी स्कूलों में बैगलेस डे को हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को मनाने का निर्देश दिया है।
बैगलेस डे की तिथि और आवृत्ति
यह आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा और सभी ब्लॉकों को गतिविधियों के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है।
तीन स्तरों पर गतिविधियों की योजना
छात्रों की कक्षा के अनुसार गतिविधियों को तीन स्तरों में बाँटा गया है:
फाउंडेशन लेवल (कक्षा 1-2)
-
खेल-कूद, चित्र-कथाएं, गाने
-
संवाद पर आधारित कहानियां
प्रिपेटरी लेवल (कक्षा 3-5)
-
चित्रकला, रचनात्मक लेखन, एक्टिंग
-
छोटे वैज्ञानिक प्रयोग और कार्यशालाएं
उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8)
-
समूह चर्चा, मॉडल निर्माण, कला और शिल्प
-
प्रेरक सत्र और सामूहिक गेम्स
शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका
बच्चों के लिए प्रेरक वातावरण बनाना
शिक्षकों को इन गतिविधियों को प्रभावी बनाने के लिए योजना बनानी होगी और छात्रों को प्रोत्साहित करना होगा।
अभिभावकों की भागीदारी क्यों जरूरी है
अभिभावकों को चाहिए कि वे इस दिन बच्चों को सीखने की प्रक्रिया में सहभागी बनाएं, जिससे घर और स्कूल का तालमेल बेहतर हो।
संभावित फायदे और चुनौतियाँ
लाभ: तनाव में कमी और रचनात्मकता में वृद्धि
-
बच्चे अपने दिमाग को खुले रूप में उपयोग कर सकेंगे
-
संवाद कौशल और सहकार्य की भावना विकसित होगी
चुनौती: संसाधनों की उपलब्धता और निगरानी
-
सभी स्कूलों में गतिविधि संचालन हेतु संसाधन जुटाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है
-
शिक्षकों को अतिरिक्त योजना बनानी होगी
अन्य राज्यों में बैगलेस डे की स्थिति
दिल्ली, केरल और महाराष्ट्र के उदाहरण
इन राज्यों में पहले से बैगलेस डे की पहल हो चुकी है और वहाँ छात्र अधिक आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ स्कूलों में बैगलेस डे का प्रभाव
छत्तीसगढ़ स्कूलों में बैगलेस डे एक सराहनीय कदम है, जिससे न केवल बच्चों के शरीर पर बोझ कम होगा, बल्कि उनका मानसिक विकास भी होगा। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की यह पहल भविष्य में सीखने की दिशा को बदल सकती है।
