छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 2025: गरिमापूर्ण शुरुआत और राजनीतिक तैयारी

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 2025 14 जुलाई से गरिमापूर्ण माहौल में शुरू हुआ, जिसकी शुरुआत दिवंगत पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त और अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई। पक्ष और विपक्ष दोनों ने इन नेताओं को याद करते हुए उनकी सेवाओं को “अपूरणीय क्षति” बताया।

मानसून सत्र 2025 की शुरुआत
श्रद्धांजलि सभा की गरिमा

सत्र की शुरुआत विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा से हुई। पूरे सदन में एक गंभीर और भावुक माहौल था जहाँ सदस्यों ने खड़े होकर दिवंगत नेताओं को मौन श्रद्धांजलि दी।

दिवंगत नेताओं को याद किया गया

पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त की प्रशासनिक दक्षता और सेवा-भाव को विशेष रूप से रेखांकित किया गया। वहीं, राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के लंबे सार्वजनिक जीवन और जनहित में किए गए कार्यों को याद करते हुए उन्हें एक सच्चे जनसेवक के रूप में याद किया गया।

कार्य मंत्रणा समिति की बैठक
बैठक के मुख्य बिंदु

सत्र के पहले दिन कार्य मंत्रणा समिति की बैठक आयोजित की गई जिसमें सत्र की रूपरेखा, संभावित विधेयकों और चर्चा के विषयों पर सहमति बनी। बैठक में समन्वय, संवाद और समयबद्ध चर्चा पर ज़ोर दिया गया।

प्रमुख नेताओं की उपस्थिति

इस बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप समेत कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।

शेखर दत्त को श्रद्धांजलि
प्रशासनिक सेवा में योगदान

शेखर दत्त, एक अनुभवी प्रशासक रहे हैं जिन्होंने देश के रक्षा मंत्रालय से लेकर राज्यपाल तक की जिम्मेदारियाँ निभाईं। उनके कार्यकाल में पारदर्शिता और सुशासन की कई मिसालें देखने को मिलीं।

राज्यपाल के रूप में कार्यकाल

उन्होंने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में एक शांत, समावेशी और विकासशील वातावरण बनाने में भूमिका निभाई थी।

राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह की स्मृतियां
अविभाजित मध्यप्रदेश में योगदान

राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने मध्यप्रदेश के मंत्री रहते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे जनहितकारी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

जनहित में सक्रिय भूमिका

उनकी नेतृत्व क्षमता और ज़मीनी पकड़ उन्हें जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय बनाती थी।

पक्ष और विपक्ष की संयुक्त सहमति
लोकतांत्रिक मूल्यों की मिसाल

इस सत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों की सकारात्मक भागीदारी लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है। सभी दलों ने मिलकर एक गरिमामय शुरुआत की जो आने वाले दिनों में सहमति और समाधान की राह खोलेगी।

सत्र की मुख्य चुनौतियां और संभावनाएं

आगामी विधेयक और चर्चाएं

इस सत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर कई विधेयक पेश किए जा सकते हैं। वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी से बजट अनुपूरक मांगों पर भी चर्चा की संभावना है।

वित्तीय और कृषि सुधारों पर फोकस

राज्य सरकार की योजना है कि वह छोटे किसानों को राहत देने वाले और वित्तीय अनुशासन को मजबूत करने वाले कानून पेश करे।

जनता की उम्मीदें और राजनीतिक दृष्टिकोण
लोकतंत्र में संवाद की भूमिका

जनता इस सत्र से उम्मीद कर रही है कि उनके मुद्दों पर गंभीर चर्चा होगी और नीति-निर्माण में जनसरोकारों को प्राथमिकता दी जाएगी।

मीडिया की भूमिका और रिपोर्टिंग
जनजागरूकता और पारदर्शिता

मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह जनता तक सत्र की हर जानकारी को ईमानदारी और निष्पक्षता से पहुँचाए।

सत्र के दौरान संभावित मुद्दे
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर चर्चा

राज्य में शिक्षा सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और युवाओं को रोजगार देने जैसे मुद्दों पर विपक्ष की ओर से तीखी बहस की उम्मीद है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा की ऐतिहासिक परंपराएं
गरिमामय सत्रों का इतिहास

छत्तीसगढ़ विधानसभा हमेशा से ही गरिमापूर्ण परंपराओं और सकारात्मक बहस के लिए जानी जाती रही है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu