छत्तीसगढ़िया तिहार लोक पर्व तीजा–पोरा का उल्लास, जोरातराई अवरी में विशेष करुभात का आयोजन

ग्रामीण अंचलों में धूमधाम से मना छत्तीसगढ़िया तिहार लोक पर्व तीजा–पोरा

कुरूद:- छत्तीसगढ़िया तिहार लोक पर्व तीजा–पोरा का उल्लास पूरे प्रदेश सहित ग्रामीण अंचलों में देखने को मिला। इसी कड़ी में जोरातराई अवरी में तीजहरिन माता–बहनों के लिए करुभात का विशेष आयोजन किया गया। इस अवसर पर हजारों माताओं और बहनों ने मिलकर परंपरागत भोजन ग्रहण किया और कार्यक्रम को यादगार बनाया।

करुभात आयोजन में उमड़ा महिलाओं का उत्साह

आयोजन में शामिल माताओं और बहनों ने कहा कि यह कार्यक्रम उन्हें आपसी मेलजोल और हालचाल जानने का सुनहरा अवसर देता है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन से गांव में एकता और अपनापन और भी प्रगाढ़ होता है। कई महिलाओं ने इसे अपने गांव की सौभाग्यशाली परंपरा बताया, क्योंकि हर जगह इस तरह का आयोजन देखने को नहीं मिलता।

गांव की एकता का प्रतीक बना आयोजन

गांव की एकजुटता और आपसी सहयोग इस कार्यक्रम में साफ नजर आया। आयोजन को सफल बनाने में दानदाताओं और ग्रामवासियों का विशेष योगदान रहा। माताओं ने कहा कि इस तरह के सामूहिक आयोजन गांव की संस्कृति और परंपरा को जीवित रखते हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होते हैं।

ग्रामवासियों और दानदाताओं की अहम भूमिका

इस अवसर पर ग्राम पटेल महेंद्र साहू, टेकराम साहू, मानक लाल साहू, पूर्णिमा रामस्वरूप साहू, भानु प्रताप साहू, हरिपाल जालम साहू, तुकाराम, भोजराम, मोहन, चैतूराम, पितांबर साहू, वीरसिंह, दुर्गेश निर्मलकर, शैलेंद्र मोहन, खिलावन, रविंद्र सेन, राजेश मोहन, भानु प्रताप, दुजराम, भूपेंद्र, हेमा, युगल दूज निषाद, पीतांबर छवि, ओमू साहू, पीतांबर हेमलाल, हरिश्चंद्र, लव निषाद, जालम साहू, नरेश, भारत, शिवदयाल, चंदू साहू, विजय, तारक, शालिग्राम, शालिक एवं अन्य ग्रामवासियों ने बढ़–चढ़कर सहयोग प्रदान किया।

छत्तीसगढ़िया तिहार लोक पर्व तीजा–पोरा का सांस्कृतिक महत्व

तीजा–पोरा छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। इस पर्व पर महिलाएं सज–धज कर एकत्रित होती हैं, परंपरागत व्यंजन बनते हैं और आपसी भाईचारे को मजबूत किया जाता है। छत्तीसगढ़ के त्यौहारों के बारे में और पढ़ें (External Link)।

छत्तीसगढ़िया तिहार लोक पर्व तीजा–पोरा न केवल महिलाओं के उत्साह का प्रतीक है बल्कि गांव की एकता और परंपरा को भी जीवंत करता है। जोरातराई अवरी का यह करुभात आयोजन पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बना। इस पर्व ने साबित कर दिया कि संस्कृति और एकजुटता ही किसी गांव की सबसे बड़ी ताकत है।

 

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu