चिरचिटा औषधीय पौधा: बंजर भूमि में उगने वाला आयुर्वेदिक खजाना

नई दिल्ली । चिरचिटा औषधीय पौधा एक ऐसा पौधा है जो आमतौर पर बंजर भूमि, खेतों और सड़क किनारे खरपतवार के रूप में देखा जाता है। जानकारी की कमी के कारण लोग इसे अक्सर घास समझकर उखाड़ देते हैं, लेकिन यह पौधा आयुर्वेद में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सुश्रुत संहिता और चरक संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। इसके पत्ते, बीज, जड़ और तना कई रोगों के उपचार में उपयोग किए जाते हैं।

चिरचिटा औषधीय पौधे की पहचान और नाम

चिरचिटा को कई नामों से जाना जाता है – अपामार्ग और लटजीरा इनमें प्रमुख हैं। यह पौधा 1 से 3 फीट तक ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां गोल या अंडाकार होती हैं। इसके फूल और बीज लंबी डंडी पर ऊपर की ओर लगे रहते हैं। बीज कांटेदार होते हैं और आसानी से कपड़ों या जानवरों के बालों में चिपक जाते हैं। इसी कारण इसे ‘चिटचिटा’ भी कहा जाता है।

चिरचिटा औषधीय पौधे के आयुर्वेदिक गुण
1. घाव और सूजन में लाभकारी

सुश्रुत संहिता के अनुसार चिरचिटा औषधीय पौधा घावों और सूजन के इलाज में बेहद प्रभावी है। इसकी पत्तियों का रस घाव पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है।

2. त्वचा रोगों और फोड़ों में उपयोगी

चरक संहिता में चिरचिटा का उपयोग फोड़ों और त्वचा संबंधी रोगों के उपचार में सुझाया गया है। इसकी पत्तियों का लेप प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

3. जोड़ों के दर्द और गठिया में सहायक

चिरचिटा की पत्तियों या जड़ का लेप जोड़ों के दर्द और गठिया के इलाज में कारगर माना जाता है। यह सूजन कम करने में भी मदद करता है।

4. पाचन और मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी

इस पौधे का सेवन पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और मूत्र संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक होता है। हालांकि, सेवन से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग चिरचिटा औषधीय पौधा को दातून के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। माना जाता है कि इससे दांतों का दर्द, मसूड़ों की कमजोरी और मुंह की दुर्गंध दूर होती है।

आयुर्वेद में चिरचिटा का महत्व

आयुर्वेद में चिरचिटा औषधीय पौधा को त्रिदोष नाशक माना गया है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करता है। इसकी जड़, पत्तियां और बीज का प्रयोग औषधियों के निर्माण में किया जाता है।

चिरचिटा औषधीय पौधा न केवल बंजर भूमि में आसानी से उगता है बल्कि आयुर्वेद में इसे बहुमूल्य औषधि के रूप में जाना जाता है। इसके पत्ते, जड़ और बीज कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में उपयोग किए जाते हैं। हालांकि, इसके सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

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Author: Bharti Sahu