DAP खाद की कमी का विकल्प: सरकार ने बनाई ठोस रणनीति
रायपुर । खरीफ सीजन में DAP खाद की कमी का विकल्प छत्तीसगढ़ सरकार ने बेहद सटीक और समयबद्ध रणनीति से सुनिश्चित किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डीएपी उर्वरक की आपूर्ति में आई कमी के बावजूद, राज्य में किसानों को खाद की कोई समस्या नहीं हो, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने वैकल्पिक उर्वरकों जैसे नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की बड़ी मात्रा में आपूर्ति सुनिश्चित की है। यह निर्णय न केवल कृषि उत्पादकता को बनाए रखेगा, बल्कि किसानों को राहत भी देगा।
DAP की कमी के बीच वैकल्पिक उर्वरकों का बड़ा भंडारण
नैनो डीएपी: भविष्य का उर्वरक
छत्तीसगढ़ सरकार ने DAP खाद की कमी का विकल्प के रूप में 179,000 बॉटल नैनो डीएपी का भंडारण किया है। यह नैनो टेक्नोलॉजी आधारित उर्वरक बीज उपचार, जड़ उपचार और छिड़काव के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका प्रयोग लागत कम करने और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है।
एनपीके और एसएसपी की रिकॉर्ड आपूर्ति
एनपीके का लक्ष्य 25,266 मेट्रिक टन से अधिक और एसएसपी का 71,363 मेट्रिक टन अतिरिक्त भंडारण किया गया है। इन दोनों उर्वरकों से कुल 72,000 मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।
उर्वरक प्रकार | लक्षित भंडारण | अतिरिक्त भंडारण |
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नैनो डीएपी | 1.79 लाख बॉटल | उपलब्ध |
एनपीके | लक्ष्य + 25,266 MT | DAP के विकल्प में |
एसएसपी | लक्ष्य + 71,363 MT | DAP के विकल्प में |
खरीफ 2025 के लिए यूरिया और पोटाश का अतिरिक्त भंडारण
राज्य में यूरिया का 6 लाख मेट्रिक टन और म्यूरेट ऑफ पोटाश का 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक भंडारण किया गया है, जो किसान की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
DAP के भंडारण की वर्तमान स्थिति
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DAP लक्ष्य: 3.10 लाख मेट्रिक टन
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अब तक भंडारण: 1.63 लाख मेट्रिक टन
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जुलाई में आपूर्ति: 48,850 मेट्रिक टन (अतिरिक्त)
DAP खाद की कमी का विकल्प अपनाने के सुझाव
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे पारंपरिक डीएपी के स्थान पर एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का प्रयोग करें। इससे उत्पादन में कोई गिरावट नहीं आएगी और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
DAP खाद की कमी का विकल्प अपनाकर छत्तीसगढ़ सरकार ने यह साबित कर दिया है कि किसानों के हित में वह सजग और तत्पर है। वैकल्पिक उर्वरकों की समय पर आपूर्ति न केवल किसानों को राहत देगी, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को भी बनाए रखेगी। राज्य सरकार, कृषि वैज्ञानिकों और सहकारी समितियों की संयुक्त पहल निश्चित रूप से खरीफ सीजन 2025 को सफल बनाएगी।
