रायपुर। शालेय शिक्षक संघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, महासचिव धर्मेश शर्मा और कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी के नेतृत्व में संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंत्रालय और सचिवालय में संपर्क कर शिक्षकों की मांगों को लेकर चर्चा की। संघ ने माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका (SLP) खारिज किए जाने के बाद, प्रदेश के संविलियन प्राप्त शिक्षकों को क्रमोन्नति और समयमान वेतनमान का लाभ शीघ्र दिलाने के लिए विभागीय आदेश जारी करने की मांग की।
संविलियन प्राप्त शिक्षकों को उनका अधिकार मिले
संघ ने मांग की है कि सहायक शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ दिया जाए, जबकि अन्य शिक्षक, प्रधान पाठक और व्याख्याताओं को वरिष्ठता के आधार पर समयमान वेतनमान प्रदान किया जाए। यह कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है, क्योंकि पदोन्नति के लिए पात्रता हासिल करने के बावजूद अगर कोई शिक्षक इससे वंचित रहता है, तो उसे क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान दिया जाना चाहिए। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को यथावत रखा है, इसलिए शिक्षा विभाग को बिना किसी टकराव या न्यायालयीन हस्तक्षेप के शिक्षकों को उनका हक देना चाहिए।
प्राचार्य और व्याख्याताओं की पदोन्नति की जाए
शिक्षक संघ ने प्राचार्य और व्याख्याता पदों पर पदोन्नति व पदस्थापना के लिए रिक्त पदों का अद्यतन करने की मांग की है। वर्तमान में बड़ी संख्या में पद खाली हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा आ रही है और विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पदोन्नति होने से स्कूलों में पढ़ाई बेहतर होगी और संचालन सुचारू रूप से हो सकेगा।
काउंसलिंग के माध्यम से हो पदस्थापना
संघ का कहना है कि अभी तक केवल पदोन्नति प्रक्रिया (DPC) पूरी हुई है, लेकिन पोस्टिंग को लेकर भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही हैं। अगर पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से की जाए, तो यह प्रक्रिया पारदर्शी होगी और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर रोक लगाई जा सकेगी।
सीमित परीक्षा से प्राचार्य पद पर भर्ती की मांग
संघ ने छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 के तहत प्राचार्य पदों में 10% पदों पर सीमित परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है। वर्तमान में कुल 4700 स्वीकृत प्राचार्य पदों में से लगभग 3600 पद रिक्त हैं, लेकिन पिछले 30 वर्षों से सीमित परीक्षा के माध्यम से भर्ती नहीं की गई है। इससे न केवल पात्र कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
शिक्षकों के हितों के लिए संघर्ष जारी रहेगा
शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने बताया कि संगठन शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है। संघ ने स्कूलों की अधोसंरचना, शिक्षकों की पदोन्नति, वेतन विसंगतियों और सीधी भर्ती को लेकर लगातार शासन का ध्यान आकर्षित किया है। संविदा शिक्षक से संघर्ष करते हुए संविलियन प्राप्त कर प्राचार्य बनने तक का सफर तय करने वाले शिक्षक अब अपने अन्य अधिकारों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं।
संघ ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि संविलियन प्राप्त शिक्षकों की पुरानी सेवा गणना करते हुए उन्हें क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान दिया जाए, पदोन्नति प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए और वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए। संगठन इस दिशा में लगातार प्रयासरत है और शिक्षकों के हक के लिए संघर्ष जारी रखेगा।
