रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को मीसा बंदियों के लिए लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक पेश किया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे सदन में प्रस्तुत किया, जिस पर विपक्षी विधायकों ने कड़ा विरोध जताया।
विपक्ष ने विधेयक को केंद्र का विषय बताया
विपक्ष ने इस विधेयक को संविधान के दायरे से बाहर बताते हुए विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि यह केंद्र का विषय है और राज्य सरकार को इस पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इस पर बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने जवाब दिया कि समवर्ती सूची के तहत सामाजिक-आर्थिक विषयों पर राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।
इस पर महंत ने सवाल उठाते हुए कहा कि “यह सामाजिक-आर्थिक विषय कैसे हो सकता है? यह तो व्यक्तिगत लाभ का विषय है।” वहीं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि “2018 में वहां भी इस तरह का कानून बनाया गया था।”
विपक्ष ने किया वाकआउट
विधेयक को लेकर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर “दादागिरी” करने का आरोप लगाया और बहस के दौरान वाकआउट कर दिया।
आपातकाल पर गरमाई राजनीति
बीजेपी विधायक अमर अग्रवाल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं को सदन के सामने रखा। उन्होंने कहा, “मीसा कानून के नाम पर मेरे पिता को बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया गया था।”
इस पर विपक्ष के नेता चरणदास महंत और भूपेश बघेल ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि “आपातकाल राष्ट्रपति के आदेश से लगाया गया था, इस पर चर्चा कराना असंवैधानिक है।” महंत ने सत्ता पक्ष को कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ देखने की सलाह दी।
सदन में तीखी बहस और वाकआउट के बीच विधेयक पर चर्चा जारी रही। अब देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को किस रूप में पारित कर पाती है।
