धमतरी : स्कूल तालाबंदी एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा कर रही है। 28 जून 2025 को जिले के वनांचल क्षेत्र स्थित नगरी प्रायोगिक शाला (अंग्रेजी माध्यम) में शिक्षकों की भारी कमी से नाराज़ पालकों ने स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया। यह घटना न सिर्फ शिक्षा विभाग के युक्तियुक्तकरण दावों को चुनौती देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दूरस्थ क्षेत्रों की शिक्षा अब भी उपेक्षा का शिकार है।
स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी बनी कारण
धमतरी के इस स्कूल में कुल 125 विद्यार्थी नामांकित हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल चार शिक्षक मौजूद थे। हाल ही में उनमें से दो शिक्षक, जो व्यवस्था आधारित पदस्थापना पर थे, मूल शाला लौट गए। नतीजतन, स्कूल में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है।
नाराज़ पालकों का ऐलान – जब तक शिक्षक नहीं, तब तक स्कूल नहीं
स्कूल गेट पर ताला लगाकर पालकों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक धमतरी स्कूल तालाबंदी के मूल कारण यानी शिक्षकों की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक स्कूल नहीं खुलने देंगे। सूचना मिलते ही बीआरसी मौके पर पहुंचे, लेकिन पालकों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया।
युक्तियुक्तकरण व्यवस्था पर उठे सवाल
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के जरिए यह दावा किया गया था कि शिक्षकों की कमी को दूर किया गया है। लेकिन धमतरी स्कूल तालाबंदी ने इन दावों की सच्चाई उजागर कर दी है। खासकर वनांचल और आदिवासी क्षेत्रों के स्कूल अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
पालकों की मांगें क्या हैं?
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स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक नियुक्त किए जाएं
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बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो
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भविष्य में शिक्षक ट्रांसफर या पदस्थापना के दौरान ऐसी स्थितियों की पुनरावृत्ति न हो
