कुरुद न्यायालय में एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना के तहत हुआ वृहद पौधरोपण

कुरुद । एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना के अंतर्गत अधिवक्ता संघ कुरुद और व्यवहार न्यायालय परिवार ने मिलकर न्यायालय परिसर में वृहद पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किया। इस पर्यावरणीय पहल में न्यायाधीश तन्नू श्रीगवेल, अधिवक्ता संघ संरक्षक एलपी गोस्वामी, अध्यक्ष रमेश पांडेय सहित कई गणमान्य अधिवक्ताओं और कर्मचारियों ने भाग लिया। एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना का उद्देश्य मातृभक्ति के प्रतीक स्वरूप प्रकृति को समर्पित करते हुए हर व्यक्ति को कम से कम एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करना है।

फलदार और छायादार पौधों का रोपण

इस कार्यक्रम में आम, जामुन, कटहल, नींबू, सीताफल, अमरूद, करौंदा और शहतूत जैसे फलदार पौधे लगाए गए, वहीं छायादार वृक्षों में नीम, पीपल, बरगद और शोभा पौधे रोपे गए। एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया कि सभी पौधे पर्यावरण और समाज के लिए उपयोगी हों।

न्यायाधीश श्री तन्नू श्रीगवेल, अधिवक्ता नीलेशकुमार बघेल, नरेश डिंगरे, ममता सोनकर, यशवंत साहू, महेंद्र साहू, हेमंत निर्मलकर सहित अन्य सदस्यों ने इस पर्यावरणीय अभियान में योगदान दिया। अधिवक्ता संघ अध्यक्ष रमेश पांडेय ने कहा कि “धरती हमारी माता है और हरे-भरे वृक्ष उसका श्रृंगार हैं, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह एक पेड़ मां के नाम अवश्य लगाए।”

कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिवक्ताओं, कर्मचारियों और अधिकारियों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली और आने वाले वर्षों में और अधिक वृक्ष लगाने का संकल्प भी लिया। एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना न केवल एक पर्यावरणीय मिशन है, बल्कि यह समाज में भावनात्मक जुड़ाव और नैतिक ज़िम्मेदारी का भी प्रतीक बन चुका है।

इस आयोजन में बीडी साहू, एलके द्विवेदी, नरेंद्र साहू, गुणवंत सोलंके, अरविंद गुरु, योगेंद्र साहू, प्रीतम बंजारे, चेतन साहू, रूपसेन यादव, सत्यवती यादव, वंदना देवांगन, प्रदीप साहू सहित न्यायालय स्टाफ, लिपिक वर्ग और अधिवक्ता समाज के सैकड़ों सदस्य उपस्थित रहे।

एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण योजना केवल पौधरोपण तक सीमित नहीं, बल्कि यह भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता का आंदोलन बन चुका है। कुरुद न्यायालय परिसर में इसका प्रभावशाली आयोजन यह सिद्ध करता है कि न्याय और प्रकृति संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। हमें अपने जीवन में इस योजना को आत्मसात कर आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य सुनिश्चित करना चाहिए।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu