26 वर्षों से जारी एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव का भव्य आयोजन

एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव की शुरुआत

कुरुद । विगत 26 वर्षों से जारी एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसका शुभारंभ 22 सितंबर को नगर पालिका अध्यक्ष ज्योति भानु चन्द्राकर, पूर्व अध्यक्ष निरंजन सिन्हा, राजकुमारी दीवान और रविकान्त चन्द्राकर की उपस्थिति में हुआ। आयोजन समिति से भानु चन्द्राकर, बसंत सिन्हा, कृष्णकांत साहू और प्रभात बैस ने मेहमानों का स्वागत किया।

प्रेस क्लब और पत्रकारों का योगदान

शुभारंभ अवसर पर कुरुद प्रेस क्लब अध्यक्ष मुलचंद सिन्हा मुख्य अतिथि रहे, जबकि पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष जमाल रिज़वी ने अध्यक्षता की। इस मौके पर नवोदित पत्रकार श्रवण साहू ने आयोजन की सफलता की शुभकामनाएं दी और कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना की।

छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियाँ

कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। विशेष रूप से कविता वासनिक ने अपनी मधुर आवाज में “ओल्ड इज गोल्ड” छत्तीसगढ़ी गीत चौरा मं गोदा…, रसिया तोर बारी मं पताल… और पता लेजा रे… गाड़ी वाला… प्रस्तुत कर दर्शकों को झुमने पर मजबूर कर दिया।

लोकधुनों ने बांधा समां

देर रात तक चले इस एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव में कर्मा, ददरिया, भरथरी और आल्हा की धुनों पर आधारित पुराने और नए छत्तीसगढ़ी गीत गाए गए। श्रोताओं ने तालियों और “वाह-वाह” से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।

आयोजन स्थल और बदलाव

आयोजन समिति के प्रमुख भानु चन्द्राकर ने बताया कि बारिश की वजह से मैदान में थोड़ी अव्यवस्था रही। इसलिए बुधवार से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन पुरानी मंडी के शेड युक्त प्रांगण में किया जाएगा। इससे दर्शकों और कलाकारों दोनों को बेहतर सुविधा मिलेगी।

पहले और दूसरे दिन की गरिमामयी उपस्थिति

पहले दिन पार्षद महेन्द्र गायकवाड़, रवि मानिकपुरी, सितेश सिन्हा, राजकुमारी ध्रुव, कविता चन्द्राकर, अर्जुन ध्रुव, पूर्व नपं उपाध्यक्ष मोहन अग्रवाल, किशोर यादव, कमल शर्मा, तुकेश साहू, दीलिप टंडन, योगेश चन्द्राकर, रवि चुनमुन और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

दूसरे दिन प्रेस जगत से जुड़े गणेश साहू, रवि शर्मा, दीपक साहू, चंदन शर्मा, मुकेश कश्यप, घनश्याम साहू और तुलसी साहू सहित आयोजन समिति के सदस्य मौजूद थे। उनकी उपस्थिति ने एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव की शोभा बढ़ा दी।

दशहरा महोत्सव का महत्व

दशहरा भारत का प्रमुख त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस अवसर पर रावण दहन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन पूरे देश में होता है।

सांस्कृतिक धरोहर को सहेजता महोत्सव

एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ी संस्कृति, गीत-संगीत और लोकधुनों को जीवित रखने का माध्यम भी है। आयोजकों का कहना है कि आने वाले वर्षों में भी इस परंपरा को और भव्य रूप दिया जाएगा।

26 वर्षों से निरंतर आयोजित हो रहा एकीकृत कुरुद दशहरा महोत्सव अब केवल कुरुद ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान बन गया है। इस बार भी कलाकारों की प्रस्तुतियों और जनसहभागिता ने इसे अविस्मरणीय बना दिया। यह महोत्सव आने वाली पीढ़ियों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का कार्य करता रहेगा।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu