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नई दिल्ली । अगर रोटी खाने के बाद आपको बार-बार पेट फूलने, गैस या भारीपन की शिकायत होती है, तो यह सिर्फ आम अपच नहीं हो सकती – हो सकता है कि आपको ग्लूटन से एलर्जी हो! आजकल सेहत के प्रति सजग लोग तेजी से ग्लूटन-फ्री डाइट की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है – आखिर ग्लूटन है क्या? और किन लोगों को इससे बचना चाहिए?

ग्लूटन: एक अदृश्य खतरा?

ग्लूटन एक तरह का प्रोटीन है जो मुख्य रूप से गेहूं, जौ, सूजी और राई जैसे अनाजों में पाया जाता है। यह आटे को लचीला बनाता है और रोटियों या बेकरी आइटम्स को चबाने लायक टेक्सचर देता है। लेकिन कुछ लोगों के लिए ये फायदे नहीं, बल्कि बीमारियों की जड़ बन सकते हैं।

किन्हें है खतरा?

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ लोगों को ग्लूटन इंटोलरेंस यानी ग्लूटन से संवेदनशीलता होती है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • बार-बार पेट फूलना

  • गैस बनना

  • डायरिया

  • थकावट

  • ध्यान न लगना

इसके अलावा, सीलिएक डिज़ीज नामक एक ऑटोइम्यून बीमारी वाले लोगों को तो ग्लूटन पूरी तरह से छोड़ना ही पड़ता है।

ग्लूटन-फ्री विकल्प क्या हैं?

अगर आप ग्लूटन से परहेज करना चाहते हैं, तो घबराइए मत! बाजार और रसोई दोनों में आपके लिए कई स्वस्थ विकल्प मौजूद हैं:

  • बाजरा, मक्का, ज्वार, चावल

  • ग्लूटन-फ्री आटा (रागी, चना, सिंघाड़ा)

  • ओट्स (अगर पैक पर ‘ग्लूटन फ्री’ लिखा हो)

  • क्विनोआ, अमरंथ, साबूदाना और आलू

सेहत के लिए एक छोटा बदलाव, बड़ा असर!

ग्लूटन-फ्री डाइट सिर्फ ट्रेंड नहीं है, ये उन लोगों के लिए ज़रूरी है जो पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं या अपने डेली फूड को हेल्दी बनाना चाहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर की सुनना और छोटी-छोटी तकलीफों को नजरअंदाज न करना ही असली जागरूकता है।

Bharti Sahu
Author: Bharti Sahu