कुरूद में ‘नगाड़ा 2025’ का भव्य समापन, कला संगम का बना गवाह

कुरूद। हीरा सिरामिक फाउंडेशन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सिरामिक उत्सव ‘नगाड़ा 2025’ का आज भव्य समापन हुआ। 19 मार्च से शुरू हुए इस तीन दिवसीय कार्यशाला में देश-विदेश के प्रतिष्ठित कलाकारों ने हिस्सा लिया और सिरामिक कला के अनूठे प्रयोगों को साझा किया। यह आयोजन कला प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव बना, जिसमें सिरामिक कला के साथ छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और लोक परंपराओं का अद्भुत समन्वय देखने को मिला।

उत्सव का शुभारंभ और विशिष्ट अतिथि

इस कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में नगर पंचायत अध्यक्ष ज्योति भानु चंद्राकर, पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर, हरीश देवांगन, राजू रात्रे सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। अतिथियों ने इस आयोजन को कला जगत के लिए प्रेरणादायक बताते हुए इसे भविष्य में और व्यापक रूप से आयोजित करने का सुझाव दिया।

तीन दिन सिरामिक कला और लोक परंपरा के नाम

कार्यशाला के संयोजक और हीरा सिरामिक फाउंडेशन के अध्यक्ष चिरायु सिन्हा ने बताया कि यह कार्यशाला हर साल रंग पंचमी के अवसर पर आयोजित की जाती है, जिससे युवा कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिले। इस वर्ष भी अमेरिका, इजराइल और भारत के विभिन्न राज्यों—गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से 22 कलाकारों ने इसमें भाग लिया।

‘नगाड़ा 2025’ में कलाकारों ने पारंपरिक और आधुनिक कला के मेल से अद्भुत कृतियों का निर्माण किया। सिरामिक कला के साथ-साथ लोकगीत, लोकनृत्य और नगाड़ा वादन ने कार्यशाला को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप दे दिया।

कार्यशाला के प्रमुख कलाकार

देशभर से आए कलाकारों में शामिल थे —

  • गुजरात: कृष्ण पडिया, सुश्री दीपा पंत
  • महाराष्ट्र: मुकुंद जेठवा
  • ओडिशा: सरोज राउत
  • उत्तर प्रदेश: प्रेम शंकर प्रसाद, डॉ. लकी टांक, पल्लवी सिंह
  • राजस्थान: पवन शर्मा
  • मध्य प्रदेश: दिव्या पोरवाल
  • छत्तीसगढ़: डॉ. छगेन्द्र उसेंडी, विजया त्रिपाठी, राखी गुप्ता, युगल किशोर, हूमन चक्रधारी
  • संयोजक: सुश्री देशना जैन
  • आयोजक: चिरायु सिन्हा
समापन समारोह में कलाकारों को किया गया सम्मानित

आज समापन समारोह के दौरान कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया। हीरा सिरामिक फाउंडेशन की ओर से सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। आयोजकों ने भविष्य में इस आयोजन को और अधिक भव्य बनाने का संकल्प लिया।

कलाप्रेमियों को एक यादगार अनुभव

तीन दिनों तक चले इस कार्यशाला में कला प्रेमियों ने सिरामिक कला के विभिन्न रूपों को देखा और सीखा। आयोजकों ने छत्तीसगढ़ के नागरिकों से अनुरोध किया कि वे आगे भी इस तरह के आयोजनों में बढ़-चढ़कर भाग लें और कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहित करें। इस शानदार आयोजन ने कुरूद को एक बार फिर कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

Arpa News 36
Author: Arpa News 36