छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति का पहला पर्व हरेली पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 24 जुलाई 2025 को राजधानी रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में पारंपरिक विधि-विधान के साथ पूजा संपन्न की। इस मौके पर गौरी-गणेश, नवग्रह की पूजा और भगवान शिव का अभिषेक किया गया। यह आयोजन प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत करता है।
🕉️ शिव अभिषेक में धनिष्ठा और दिव्य शर्मा की भागीदारी
इस वर्ष हरेली पूजन की विशेष बात यह रही कि पहली बार मुख्यमंत्री निवास में भिलाई निवासी ग्रेजुएट धनिष्ठा शर्मा ने अपने बड़े भाई दिव्य शर्मा के साथ भगवान शिव के अभिषेक में मंत्रोच्चार किया। उनके सुस्पष्ट उच्चारण और पारंपरिक विधि से सभी उपस्थितजन प्रभावित हुए।
मुख्यमंत्री श्री साय और उनके परिवार ने इस विशेष योगदान की सराहना की, जिससे यह आयोजन और भी पावन और समर्पणपूर्ण बन गया।
🐄 पशुधन के प्रति सम्मान और संरक्षण का संदेश
छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति का पहला पर्व हरेली केवल धार्मिक अनुष्ठान का अवसर नहीं है, बल्कि यह पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी पर्व है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा:
“छत्तीसगढ़ की संस्कृति में पशुओं को परिवार का सदस्य माना गया है। हरेली का यह पर्व हमें पशुधन के प्रति कृतज्ञता और उनके संरक्षण का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है।”
यह संदेश प्रदेशवासियों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने और अपने पशुधन की देखभाल को प्राथमिकता देने की प्रेरणा देता है।
🏡 मुख्यमंत्री निवास में लोक संस्कृति की झलक
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस पूजन में छत्तीसगढ़ी पारंपरिक परिवेश की स्पष्ट झलक देखने को मिली। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में नजर आईं और मंत्रोच्चार के साथ संपूर्ण वातावरण भक्तिभाव से सराबोर हो गया। लोक कलाकारों ने भी छत्तीसगढ़ी भजन और गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।
🌿 हरेली का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
-
हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है जो सावन मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
-
यह खेती, हरियाली और पशुपालन से जुड़ा पर्व है।
-
इस दिन ग्रामीण लोग अपने कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और पशुओं को नहलाकर उन्हें सजाते हैं।
-
बच्चों को नीम की टहनी से झूले पर झुलाना पारंपरिक गतिविधियों में शामिल है।
इस पर्व का उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि पर्यावरण और जीवन चक्र के प्रति जागरूकता लाना भी है।
मुख्यमंत्री की अपील: परंपराओं से जुड़ने का समय
मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेश की जनता से अपील की कि:
“हमारी परंपराएं हमारी पहचान हैं। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना होगा और पशुधन की देखभाल को प्राथमिकता देनी होगी।”
उनका यह संदेश वर्तमान पीढ़ी को परंपराओं से जोड़ने और सामुदायिक भावना को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति का पहला पर्व हरेली न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि पशुप्रेम, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है। मुख्यमंत्री निवास में इस पर्व का पारंपरिक रूप से आयोजन और उसमें आम नागरिकों की भागीदारी एक सकारात्मक संकेत है कि छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को और भी मजबूत कर रहा है।
