रायपुर । जब भी छत्तीसगढ़ में कोई पर्व आता है, तो वह केवल पूजन-पाठ और रस्मों तक सीमित नहीं होता। पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन हरेली तिहार पर इस सांस्कृतिक भावना का जीवंत उदाहरण बने, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निवास पर इस कृषि पर्व को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी पकवानों की सौगात के साथ मनाया गया।
हरेली तिहार पर आयोजित इस खास भोज में छत्तीसगढ़ की पुरातन पाक परंपराओं को सजीव किया गया। अतिथियों के स्वागत में दर्जनों पारंपरिक व्यंजन परोसे गए, जिन्होंने स्वाद, खुशबू और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया।
🍛 मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की भव्य प्रस्तुति
मुख्यमंत्री निवास में सजाई गई पारंपरिक थालियों में छत्तीसगढ़ के विशिष्ट व्यंजनों का अद्वितीय समावेश रहा। यहां जिन व्यंजनों की व्यवस्था की गई, उनमें शामिल थे:
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ठेठरी – कुरकुरी और हल्की नमकीन
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खुरमी – मीठा और पारंपरिक बेकरी आइटम
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पि़ड़िया, अनरसा, खाजा – पारंपरिक मिठाइयाँ
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करी लड्डू, गुलगुला भजिया, मुठिया – नाश्ते के पसंदीदा व्यंजन
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चीला-फरा, बरा, चौसेला – छत्तीसगढ़ के रोजमर्रा के आहार का हिस्सा
इन व्यंजनों की खुशबू और स्वाद ने स्थानीयता और विरासत को जीवंत कर दिया।
🌿 हरेली तिहार और व्यंजनों का सांस्कृतिक संबंध
पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन हरेली तिहार पर केवल खाने की चीजें नहीं, बल्कि गांव की रसोई से निकली भावनाएं हैं। यह पर्व खेत-खलिहानों, पशुधन और हरियाली के सम्मान का प्रतीक है। अतः इन व्यंजनों के माध्यम से यह संदेश भी दिया जाता है कि परंपराएं केवल निभाने की वस्तु नहीं, बल्कि अनुभव करने की चीज होती हैं।
🧑🤝🧑 सामाजिक समरसता और अतिथि-सत्कार का प्रतीक
इस आयोजन में आए सभी अतिथियों ने पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की भरपूर सराहना की। इन व्यंजनों ने उन्हें बचपन, गांव और त्योहारों की पुरानी यादों में पहुंचा दिया। इस भोज का आयोजन मुख्यमंत्री द्वारा न केवल सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देने हेतु किया गया, बल्कि सामाजिक समरसता को भी प्रोत्साहन देने के लिए किया गया।
📎 सांस्कृतिक व्यंजन और स्वास्थ्य
ये पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन प्राकृतिक सामग्री से बनाए जाते हैं। इनमें बाजरा, चावल का आटा, गुड़, दालें और देसी घी जैसे तत्व शामिल होते हैं जो शरीर के लिए लाभकारी हैं। इस तरह ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट बल्कि पौष्टिक भी होते हैं।
मुख्यमंत्री का संदेश: स्वाद के जरिए परंपरा से जुड़ाव
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर कहा:
“हमारे व्यंजन हमारी पहचान हैं। हमें गर्व है कि छत्तीसगढ़ की पाक परंपरा इतनी समृद्ध है और यह हरेली तिहार पर हमारी संस्कृति को और जीवंत बनाती है।”
पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन हरेली तिहार पर एक बार फिर यह साबित कर गए कि खाना केवल भूख मिटाने का जरिया नहीं, बल्कि संस्कृति और भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम भी होता है। मुख्यमंत्री निवास में इस प्रकार के भोज का आयोजन सांस्कृतिक धरोहर को आगे ले जाने की दिशा में एक सराहनीय पहल है।
