आजकल आए दिन हमें सुनने को मिलता है कि किसी नौजवान को जिम करते वक्त हार्ट अटैक आ गया, किसी का सोते-सोते कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया या कोई बुजुर्ग हार्ट फेल होने से अस्पताल में भर्ती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये तीनों बीमारियाँ अलग-अलग होती हैं? अगर नहीं, तो अब जान लीजिए क्योंकि इस जानकारी से आप किसी की जान भी बचा सकते हैं — शायद अपनी भी।
1. हार्ट अटैक (Heart Attack)
हार्ट अटैक, जिसे मेडिकल भाषा में मायोकार्डियल इन्फार्क्शन कहा जाता है, तब होता है जब दिल को खून पहुंचाने वाली धमनियों में रुकावट आ जाती है।
👉 ये रुकावट ज्यादातर कोलेस्ट्रॉल जमा होने या ब्लड क्लॉट बनने से होती है।
👉 हार्ट अटैक में दिल की धड़कन चलती रहती है।
👉 अगर तुरंत इलाज मिले, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।
लक्षणों में शामिल हैं – सीने में दर्द या दबाव, बाएं हाथ में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना आदि।
2. कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
यह अचानक दिल की धड़कन रुकने की स्थिति है और यह इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी की वजह से होता है।
👉 इसमें व्यक्ति बेहोश हो सकता है और कुछ ही मिनटों में सांस लेना बंद कर देता है।
👉 यह एक मेडिकल इमरजेंसी है।
👉 यदि तुरंत CPR न दिया जाए और AED मशीन न मिले, तो मृत्यु निश्चित हो सकती है।
याद रखें: हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट एक जैसे नहीं होते, लेकिन हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर सकता है।
3. हार्ट फेलियर (Heart Failure)
यह एक धीमी और क्रॉनिक स्थिति है, जहां दिल कमजोर हो जाता है और शरीर को पर्याप्त खून नहीं पंप कर पाता।
👉 ये अचानक नहीं होता, बल्कि समय के साथ दिल की पंपिंग क्षमता कम होती जाती है।
👉 लक्षणों में सांस फूलना, थकावट, टखनों में सूजन और वजन बढ़ना शामिल हैं।
ध्यान दें: हार्ट फेलियर का मतलब ये नहीं कि दिल ने काम करना बंद कर दिया है, बल्कि इसका मतलब है कि वो पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा।
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेल — तीनों खतरनाक हैं, लेकिन इनका कारण, लक्षण और इलाज अलग-अलग होता है। सही जानकारी और समय पर एक्शन ही इनसे बचाव का तरीका है। इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें, क्योंकि ये जानकारी किसी की जिंदगी बचा सकती है।
